डीडवाना
 का
इतिहास

मोड़ कर रुख़ हवाओं का अब, दीया अपना जलाएँगे,
हम ख़ुद ही हैं आँधी तूफ़ाँ, झोंकों से न घबराएँगे 

जिस पथ से होकर गुजरेगे,
 वो भी हमें पुकारेगा,
याद रहे जो सदियों तक,
वो छाप छोड़कर जाएँगे
 

इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो राजस्थान के मध्य बीचों बीच स्थित एक क्षेत्र जो पाषाण कालीन सभ्यता को अपने भीतर समेटे है

जो लगातार बदलावों को स्वीकार करता गया और धीरे-धीरे अपने आप को प्राचीन नाम आभानगरी के मुताबित ही आभा बिखेरता चला गया।

जो मारवाड़ रियासत की पूर्वी सीमा को साधता यह क्षेत्र डाबडा के रूप में शौर्य और वीरता की कहानी को थामे हुए हैं।

बताते हैं कि शेषराम नामक प्रधानमंत्री के पुत्र डी‌डूशाह ने एक नगर बसाया जो कभी डीडुवाणक के रूप में अपनी पहचान रखता था 

आभानगरी से डीडवाना के जिले तक का सफरनामा

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