ढ़ाई दिन का झोपड़ा क्यों प्रसिद्ध है
विवरण
यह एक प्राचीन मस्जिद है, जिसका निर्माण 1199 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था
वास्तुकला
मस्जिद की वास्तुकला में हिन्दू और मुस्लिम शैली का मिश्रण है। इसमें सुंदर स्तंभों और मेहराबों की नक्काशी की गई है
इतिहास
कहा जाता है कि इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने केवल ढाई दिनों में बनवाया था
इतिहास
हालांकि यह एक मिथक है। यह वास्तव में एक संस्कृत कॉलेज था जिसे मस्जिद में परिवर्तित किया गया
यहाँ हिन्दू और मुस्लिम शैली का अद्वितीय मिश्रण देखा जा सकता है। इसमें विस्तृत नक्काशी, स्तंभ और मेहराब शामिल हैं
विशेषता
इसके अंदरूनी हिस्से में कुरान की आयतें उकेरी गई हैं और इसमें प्राचीन भारतीय स्थापत्य शैली की झलक दिखाई देती है
कहानी
इसके निर्माण से जुड़ी कई कहानियाँ भी प्रचलित हैं, जो इसे स्थानीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं
भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक, इसे हिंदू राजा विग्रहराज चतुर्थ द्वारा संस्कृत विद्यालय के रूप में विकसित किया गया था
इस स्थल की प्रसिद्धि इसकी अनूठी निर्माण शैली, ऐतिहासिक महत्व और स्थानीय कहानियो के कारण है
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