क्यों अलग हुई Hero & Honda / हीरो की कहानी क्या है ?

Hero Honda भारतीय टू व्हीलर इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम जिसे कौन नहीं जानता, वही हीरो होंडा हीरो होंडा देश की धड़कन यह वह टैगलाइन थी जिसने 1985 से लेकर 2010 तक भारतीय लोगों के दिलो पर खूब राज किया तो दुनिया की नम्बर वन मोटरसाइकिल कम्पनी होने का ताज भी अपने नाम किया

लेकिन सफलता की इन ऊंचाइयों को छूने के बाद भी हीरो और होंडा दोनों कंपनियां अलग-अलग हो गई आखिर क्यों…और इसमें किसका हुआ फायदा और हुआ किसका नुकसान, क्या थे कारण, क्यों उठाना पड़ा इतना बड़ा कदम…  तो लिए कहानी को शुरू से शुरू करते हैं

हीरो हौंडा की कहानी

बात है 1956 की जब बृजमोहन लाल मुंजाल ने एक साइकिल स्पेयर पार्ट्स के बिजनेस से हीरो साइकल्स की शुरुआत की और देखते ही देखते यह कंपनी इंडिया ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी बन गई… फिर उन्हें लगा की दुनिया टू व्हीलर इंडस्ट्री में काफी तेजी से ग्रो कर रही है लेकिन इंडिया तो अभी भी स्कूटर पर ही चल रहा है

मोटरसाइकिल और भारतीयों के बिच के गैप को पूरा करने का बीड़ा उठाया बृजमोहन मुंजाल ने… मुंजाल साहब काफी समय से इंडियन मार्केट में मोटरसाइकिल उतारना चाहते थे लेकिन उस वक्त हीरो के साथ एक प्रॉब्लम थी, प्रॉब्लम ये की उनके पास इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी ही नहीं थी

चुकी मुंजाल साहब बीड़ा उठा चुके थे तो पीछे कहां हटने वाले थे, इसलिए अपने प्लान को एक्शन में लाने के लिए, मुंजाल साहब ने साल 1984 में होंडा मोटर को एक ऑफर भेजा और साथ मिलकर बाइक बनाने की बात रखी,

Hero Honda

एक्चुअली इस प्रोजेक्ट में होंडा को भी अपना फायदा था क्यों … क्योंकि हीरो के जारीए उन्हें इंडिया जैसे बड़े मार्केट में इंटर होने का मौका मिल रहा था क्यों की यह वह दोर था तब किसी भी विदेशी कंपनी को इंडिया में अकेले बिजनेस करने की इजाजत नहीं थी

तो अब Hero Honda के बीच जॉइंट वेंचर में काम करने पर बात बन गई और साथ में उनके बीच एक एग्रीमेंट भी साइन हुआ की फ्यूचर में कभी भी दोनों कंपनी एक दूसरे के मुकाबले में अपना कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगे

अब हरियाणा में अपना पहला प्रोडक्शन प्लांट एस्टेब्लिश करने के बाद साल 1985 में जब हीरो होंडा ने CT100 नाम से अपनी पहले बाइक लॉन्च किया तो हीरो होंडा की इमेज एक फ्यूल एफिशिएंट और रिलायबल बाइक की बन गई जिसमें बाइक की बॉडी बनाने का जम्मा हीरो का था और इंजन की सप्लाई होंडा को करनी थी

इसके बाद स्प्लेंडर और पैशन जैसे कुछ पॉपुलर बाइक्स ने हीरो होंडा की पोजीशन को और ज्यादा मजबूत कर दिया साल 2001 आते-आते इंडियन टू व्हीलर इंडस्ट्री में 50% से भी ज्यादा मार्केट शेर के साथ हीरो होंडा की मोनोपोली हो गई और वो दुनिया की सबसे बड़ी टू व्हीलर कंपनी बन गई

बिजनेस तेजी से ग्रो कर रहा था इसी बिच 2010 में मुंजाल साहब होंडा से अलग हो गए, तो अब यहाँ सवाल आता है की सब कुछ सही चल रहा था तो फिर हीरो और हौंडा अलग कैसे हो गए

तो सचाई ये थी की जो ऊपर ऊपर से चीजे अच्छी नजर आ रही थी वो स्थिति अंदर थी नहीं, अंदर ही अंदर मैनेजमेंट के बीच कई बातो को लेकर लंबे समय से खीच तान चल रही थी जिसमें दो मुद्दे ऐसे थे जो बाद में उनके अलग होने के मुख्य कारण बने
सबसे पहला कारण तो यह था की साल 2000 के बाद बजाज ऑटो, टीवीएस, यामाहा और सुजुकी जैसी कई नई कंपनिया मार्केट में आ गई थी, जिससे हीरो होंडा के मार्केट शेर पर प्रेशर आने लगा था
तब होंडा मोटर ने इन नई कम्पनियों के साथ सीधा कंपटीशन करने के लिए साल 1999 में होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया नाम की एक अलग कंपनी शुरू कर दी और एक्टिवा नाम से एक स्कूटर भी लॉन्च कर दिया जो की हीरो के साथ हुए उनके एग्रीमेंट के बिल्कुल खिलाफ था

Hero Honda

तो दूसरा रीजन यह था की साइकिल प्रोडक्शन में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होने की बावजूद भी हीरो को अपने बाइक्स नेपाल बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे कुछ पड़ोसी देशो के अलावा इंटरनेशनल मार्केट में एक्सपोर्ट करने की परमिशन नहीं थी जबकि होंडा अपने बाइक अमेरिका और रसिया जैसे डेवलप्ड कंट्रीज में भेजकर अच्छा प्रॉफिट कमा रहा था
मुंजाल साहब यह बात समझ गए थे की इंटरनेशनल मार्केट में जो पोजीशन वह चाहते हैं उसके लिए उन्हें अपना खुद का इंजन डेवलप करना ही पड़ेगा और इसलिए हीरो अपने प्रॉफिट का ज्यादातर हिस्सा इंजन डेवलप करने पर खर्च करने लगा जिसके चलते दोनों के बीच की दरार और भी ज्यादा बढ़ गई

और इसका परिणाम यह हुआ की हीरो और होंडा के रास्ते अलग अलग हो गए, होंडा मोटर के साथ मिलकर हीरो ग्रुप ने दुनिया की सबसे बड़ी बाइक कंपनी होने का किताब जीता था आज वही होंडा ग्रुप उनका सबसे बड़ा कम्पिटिटर बनकर खड़ा था और अब हीरो और हौंडा के आपने अपने और अलग अलग रास्ते हो चुके थे

हीरो होंडा के जॉइंट वेंचर में मुंजाल परिवार और होंडा की 26 – 26 की हिस्सेदारी थी जिसमें होंडा के 26% स्टेक हीरो ग्रुप ने खरीदकर हीरो हौंडा से नाम बदलकर हीरो मोटोकॉर्प कर दिया

हीरो की कहानी

डी-मर्जर के समय एक एग्रीमेंट हुआ की साल 2014 तक होंडा अपने इंजन और टेक्नोलॉजी का सपोर्ट हीरो को देता रहेगा जिसके बदले में हीरो को उन्हें रॉयल्टी बोनस देना होगा और साथ ही मोटरसाइकिल को हीरो होंडा नाम से ही बेचा जाएगा

अब मुंजाल साहब के सामने चुनौतियां का एक पहाड़ था उनके पास खुद का R&D सेंटर, मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और सप्लाई चैन एस्टेब्लिश करने के लिए सिर्फ तीन से चार साल का वक्त था
लेकिन हीरो मोटोकॉर्प ने सारे चुनोतियों का सामना करते हुए साल 2014 में राजस्थान के नीमराना में अपना पहला प्रोडक्शन यूनिट को शुरू कर दिया, साथ ही जयपुर में एक वर्ल्डक्लास आरएंडडी सेंटर की भी नीव रख दी जो साल 2016 में 850 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ

इसके अलावा सप्लाई चैन और सर्विस नेटवर्क को भी दुरुस्त करने के लिए हेवि इन्वेस्ट किया गया और आखिरकार अपने खुद के इंजन के साथ स्प्लेंडर, पैशन और ग्लैमर जैसे मोटरसाइकिल्स को लॉन्च कर दिया गया
But क्या इतना ही सब कुछ हीरो के सक्सेस के लिए काफी था शायद नहीं क्योंकि हीरो को लोग एक साइकिल बनाने वाली कंपनी के लिए जानते थे मोटरसाइकिल तो होंडा के नाम पर बिकती थी

तो अब हीरो को जरूर थी अपने ब्रांड इमेज को मजबूत करने की उन्हें होंडा से अलग अपनी पहचान कायम करने की एक बड़ी चुनौती थी इसलिए एक नया लोगो और एक नई टैगलाइन हम में है हीरो से कंपनी का रीब्रांडिग शुरू किया गया और यहां पर भी हीरो ने बाजी मार ली और लोगों का भरोसा जितने में कामयाब हो गए


होंडा मोटर एक मल्टीनेशनल कंपनी है जो इंडिया के अलावा पुरी दुनिया में अपने टू व्हीलर और फोर व्हीलर के साथ मौजूद है जबकि हीरो मोटोकॉर्प ने होंडा से अलग होने के बाद अपना ग्लोबल एक्सपेंशन शुरू किया था और आज 40 से ज्यादा देशो तक अपनी पहुंच बना चूका है

होंडा से अलग होने के बाद हीरो मोटोकॉर्प का नेटवर्थ लगभग 7 बिलियन डॉलर्स था
जो ऑटो सेक्टर की लंबी मंदी और कोविड के बावजूद भी आज लगभग 7.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा है जो कंपनी के परफॉर्मेंस को दिखाता है
और वही होंडा मोटर का नेटवर्थ साल 2011 के 55 बिलियन डॉलर था जो अब घटकर 45 बिलियन डॉलर्स हो गया है जब हीरो होंडा मिलकर काम कर रहे थे तो इंडियन टू व्हीलर मार्केट पर 50% से भी ज्यादा इन्हीं का कब्जा था लेकिन अब अलग होने के बाद अकेले हीरो का ही 35% मार्केट शेर मौजूद है और पहले पायदानपर खड़ा है जबकि 25% मार्केट शेर के साथ होंडा मोटर दूसरे पायदान पर आता है

हीरो मोटोकॉर्प के आज इंडिया में छह और बांग्लादेश और कोलंबिया में एक एक प्रोडक्शन यूनिट के साथ जयपुर और जर्मनी में वर्ल्ड क्लास R&D सेंटर्स मौजूद है
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साल 2019 में हीरो ने 7.8 मिलियन बाइक्स बेचकर दुनिया में सबसे ज्यादा बाइक्स बेचे का रिकॉर्ड बनाया था इसके साथ ही यह 100 मिलियन तू व्हीलर बनाने वाली दुनिया की इकलौती कंपनी भी है लेकिन आप जानकर हैरान होंगे की इनके टोटल सेल्स का 70% से भी ज्यादा हिस्सा स्प्लेंडर का होता है

Hero Honda FAQ

देश की धड़कन सलोगन किस कम्पनी का है

“देश की धड़कन” का नारा हीरो और होंडा ने गढ़ा था। इस नारे का इस्तेमाल भारत में Hero Honda की मोटरसाइकिलों और स्कूटरों के विज्ञापनों में किया गया है, जो भारतीय बाजार में कंपनी की गहरी पैठ और लोकप्रियता को दर्शाता है।

हीरो और हौंडा का इतिहास

Hero Honda मोटरसाइकिल उद्योग में किसी ज़माने में प्रमुख खिलाड़ी रही हैं, जिनका इतिहास नवाचार और विकास से भरा है। हीरो होंडा की स्थापना 1984 में हीरो साइकिल और जापान की होंडा मोटर कंपनी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में हुई थी। इस साझेदारी के तहत, कंपनी ने ‘हीरो होंडा’ ब्रांड के तहत सस्ती और ईंधन कुशल मोटरसाइकिलें पेश कीं, जो भारत में बेहद लोकप्रिय हुईं।

हीरो कम्पनी की टेग लाइन क्या है

हीरो मोटोकॉर्प की टैगलाइन है “हीरो हमारे अंदर है”। यह टैगलाइन भारतीय बाजार में हीरो मोटोकॉर्प की मोटरसाइकिलों और स्कूटरों की पहचान और लोकप्रियता को दर्शाती है और ग्राहकों के साथ भावनात्मक संबंध बनाने का प्रयास करती है।

हीरो और होंडा कब अलग हुआ

Hero Honda की साझेदारी 2010 में खत्म हो गई। यह साझेदारी 1984 में शुरू हुई थी और दोनों कंपनियों ने मिलकर भारत में ‘हीरो होंडा’ ब्रांड नाम से मोटरसाइकिल और स्कूटर का उत्पादन किया था। दिसंबर 2010 में, हीरो ग्रुप और होंडा मोटर कंपनी ने आपसी सहमति से अलग होने की घोषणा की। इसके बाद, हीरो मोटोकॉर्प ने अपने ब्रांड को स्वतंत्र रूप से विकसित करना जारी रखा, जबकि होंडा ने होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया (HMSI) के माध्यम से भारत में अपने उत्पादों की बिक्री शुरू की।

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