ये सच है कि एक वक्त था तब सूतीवस्त्र में भारतीयों का डंका सारी दुनिया में बजता थाये सच है कि पश्चिमी देशों को सबसे पहले सूती वस्त्र भारतीयों ने पहनाए थेये भी सच है कि किसी जमाने में भारतीय सूतीवस्त्र कारीगरों की पूरी दुनिया दीवानी थीतो फिर क्या हुआ ऐसा की एकाएक भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग पूरा का पूरा बर्बाद हो गया… क्या लगा था भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को ग्रहण या फिर हुई थी इंटरनेशनल स्तर पर एक बड़ी साजिश तो आइए शुरू से शुरू करते हैं Cotton Textile Industry Ruined भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग एक पर्शियन राजदूत जब भारत से अपने देश वापस गया तो अपने राजा को नारियल भेंट किया, तो दरबारीयो को काफी अचरज हुआ कि राजदूत ने सुल्तान को सिर्फ नारियल भेंट किया है लेकिन उनका यह अचरज तब आश्चर्य में बदल गया जब नारियल को खोला गया. उस नारियल से 210 मीटर लम्बा मलमल का कपड़ा निकला… यह तो सिर्फ एक नमूना मात्र है भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग का इतिहास और इसकी विशेषताएं इससे भी और कहीं ज्यादा थी, कहा जाता  है कपास की खेती सबसे पहले भारत में ही की गई थी, कपास से धागा बनाया गया और धागे से कपड़ा बनाने के लिए लकड़ी की तकली बनाई गई धीरे धीरे कपड़ा बनाने की इस प्रक्रिया ने एक बड़े उधोग का स्वरूप धारण किया और भारत बना सूतीवस्त्र का शिरमोर, कपड़ों पर रंग लगाना और इन्हें वैज्ञानिक पद्धति से बनाना यह सब भारत में आज से हजारों वर्ष पहले होने लगा था उसे जमाने के भारत में सूती वस्त्र बनाने वाले कारीगरों को बुनकर कहा जाता था, यह बात तब की है जब भारत सूती वस्त्रो का घर था तब वस्त्र बनाने की कला ऐसी थी कि, आज की उन्नत मशीनों पर बनाए गए कपड़ों से भी उसे जमाने के कपड़े अच्छे थे कई इतिहासकारों ने लिखा है कि…  सूतीवस्त्र उद्योग को किसने बर्बाद किया मतलब… मतलब यह की भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग की गुणवत्ता का कोई जवाब नहीं था, दुनिया में ऐसे कहीं ओर बुनकर भी नहीं थे, साथ ही दुनिया भर में इन कपड़ों की डिमांड भी थी तो भारत में कच्चा माल यानी कपास भी खूब मात्रा में था, फिर ऐसा क्या हुआ कि भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग धीरे-धीरे विलुप्त हो गया भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग विलुप्त क्यों हुआ, इसको जानने के लिए चलना पड़ेगा 18वीं शताब्दी के मध्य में, 1757 के आसपास वह समय था जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर शासन शुरू हो चुका था, हालांकि भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग अंग्रेजों को तभी से खटक रहा था जब वह पहली बार भारत में व्यापार करने के लिए आए थे, लेकिन उस समय वे कुछ ज्यादा कर नहीं सकते थे इसलिए उनका उद्देश्य था व्यापार करके खूब पैसा कमाना और ऐसा किया भी 1810 के आसपास यह वह समय था जब भारत से विदेश में होने वाले निर्यात में 30% से भी ज्यादा हिस्सेदारी सिर्फ सूतीवस्त्र की ही होती थी, लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे भारत पर अंग्रेजों की पकड़ तेज होती गई वैसे-वैसे अंग्रेज सूती वस्त्र को कमजोर करते चले गए 1850 आते आते सूतीवस्त्र उद्योग की स्थिति यह हो गई की जो निर्यात कभी 30% से ज्यादा हुआ करता था वह अब मात्र 3 % रह गया…. इन आकंड़ो से अनुमान लगाया जा सकता है की मात्रा 40 वर्ष में ही किस तरह भारतीय सूती वस्त्र उद्योग की कमर तोड़ी गई अंग्रेजों ने भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग को तय करके ख़त्म किया था, और इसके लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाए गए जैसे Cotton Textile Industry Ruined conclusion धीरे-धीरे स्थिति यह हुई कि भारत में उत्पादन होने वाले कपास को, इंग्लैंड भेजे जाने लगा और इंग्लैंड में कपड़ा बनाकर फिर उन कपड़ों को वापस भारत में निर्यात करने लगे. एक समय आया तब इंग्लैंड ने भारतीय बाजार के साथ-साथ उन सभी बाजारों पर अपना कब्जा कर लिया जहां कभी भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग का दबदबा था और इस प्रकार जो चाल अंग्रेजों ने भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को तबाह करने के लिए चली थी उसमें वह सफल रहे… और एक समय दुनिया भर में अपना लोहा मनाने वाले भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग को खत्म कर दिया 👉 रहस्यमयी गांव जो एक रात में गायब हो गया 👉 हावड़ा ब्रिज का अनदेखा रहस्य भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग / Cotton Textile Industry Ruined या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें,  शुक्रिया