रामचंद्र गुहा अपनी किताब “इंडिया आफ्टर गांधी” में लिखते है पुरे भारत में कुल 2 लाख 24 हजार मतदान केंद्र बनाए गए थे इनके अलावा लोहे की 20 लाख मतपेटिया भी बनाई गई थी जिसके लिए 8200 टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया था साथ ही मतदाता सुची बनाने के लिए 16500 लोगों को 6 महीने के अनुबंध पर रखा गया था

यह कहानी है देश के पहले आम चुनाव की जिसके बाद भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बन कर उभरा था तो देश का पहला आम चुनाव कैसे हुआ था पूरी कहानी समझने के लिए आइए सुरु से सुरु करते है General Election

15 अगस्त 1947 का वो दिन और उसकी पहली किरण, वो किरण जो भारतवर्ष के हजारों साल के दिल्ली सल्तनत, मुगलिया हुकूमत और अंग्रेजों के सालों साल की गुलामी को चीर कर देश के करोड़ों लोगों को एक नया उजाला दिया था

अब यहाँ नए भारत के सपने के साथ… जनता ने एक नइ अंगड़ाई ली थी, लोगो की निगाहे विकास की और थी, सम्मान अवसर की उम्मीदे हिलोरे मार रही थी और इसी के साथ 26 जनवरी 1950 को देश का सविधान भी लागु हो चूका था, 

India first General Election

लेकिन अब देश के नेतृत्वकर्ताओ के सामने कई समस्याए थी जैसे…  विश्वपटल पर देश की नई इमेज को रखना, गरीबी मिटाना, छुआछुत जैसे कलंक से निजाद पाना, वंचित तबगो को सरकारी सिस्टम के करीब लाना, देश को उच्च शिक्षा की और बढ़ाना, लेकिन इन सब से पहले एक और बड़ी समस्या थी वो थी “ आम चुनाव कराना”

आजाद देश का पहला चुनाव सन 1951 52 में हुआ था, 25 अक्टूबर 1951 से लेकर  21 फरवरी 1952 तक यह चुनाव 5 महीनों तक चला था जिसमे 17 करोड़ से ज्यादा मतदाताओ को पहली बार वोट डालने का अधिकार मिला

लोकतंत्र के इस पहले महाकुम्भ में कुल 4500 सीटो पर चुनाव हुआ जिसमे से लोकसभा की 489 सिट थी वही बाकि विधानसभाओ की सिटे थी इस चुनाव में लोकसभा के लिए कुल 1874 उमीदवारो ने अपनी किस्मत आजमाई थी 

पहले आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टी व 39 क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव मैदान में उतरी थी  जिनमें मुख्य थी कांग्रेस,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, हिंदू महासभा  और भारतीय जनसंघ

  अब  यहां एक सवाल आता है की इस पहले आम चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीट और कितना वोट मिला था-  तो आइए इसकी भी पड़ताल कर लेते हैं

 पहले आम चुनाव में सबसे ज्यादा वोट लगभग 45% वोट शेयर कांग्रेस को मिला था और इसी वोटबैंक के साथ  कुल 364 सीट जीतकर कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था

कांग्रेस के बाद दो नंबर पर थी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिसके खाते में 16 सीट आई थी वहीं  सोशलिस्ट पार्टी को 12 ,  किसान मजदूर प्रजा पार्टी को 09,  हिंदू महासभा को 4 सीटों पर जीत मिली थी

इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी उभर कर सामने आई, और हो भी क्यों ना  क्योंकि एक और कांग्रेस पार्टी की आजादी के आंदोलन में मुख्य भूमिका रही थी तो वही,  जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री,  मौलाना आजाद, जैसे देश के दिग्गज चेहरे भी कांग्रेस के पास थे, अब बंपर जीत और उम्मीदों का बोझ लिए जवाहरलाल नेहरू देश के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने

  लेकिन इस आम चुनाव के बारे में लिख दिया जाए या पढ़ दिया जाए,  यह चुनाव इतना आसान भी नहीं था,  इस चुनाव में चुनाव आयोग के सामने बहुत परेशानी आई थी सबसे बड़ी समस्या तो यह थी कि यह पहला चुनाव था और सब कुछ पहली बार ही करना था

 लिहाजा निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग का गठन किया गया यह इसलिए भी जरूरी था कि सरकार पर किसी भी प्रकार की मिलीभगत के आरोप ना लगे

       चुनाव आयोग द्वारा किए गए देश के पहले आम चुनाव के दौरान या उससे पहले आने वाले कुछ महत्वपूर्ण समस्याओं पर एक नजर

 चुनाव आयोग के सामने सबसे बड़ी समस्या थी महिला मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जोड़ना,  इसमें प्रॉब्लम यह थी उस समय महिलाओं को अपना नाम बताने में झिझक होती थी वह अपने नाम को किसी की बेटी या फिर किसी की पत्नी के रूप में लिखाना अधिक पसंद करती थी, यही वजह रही थी चुनाव आयोग द्वारा 80 लाख से अधिक महिलाओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था

चुनाव आयोग के सामने एक समस्या यह भी थी कि इस समय देश की साक्षरता दर सिर्फ 16% थी, अधिकांश मतदाताओं को पढ़ना लिखना नहीं आता था इसलिए सबसे बड़ा सवाल था मतदाता अपने उम्मीदवार को वोट कैसे करेंगे

 तो इसका भी समाधान निकाला गया और प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अलग-अलग  मतदान पेटी की व्यवस्था की गई,  इन मतदान पेटियों का रंग भी अलग अलग रखा गया था साथ ही उम्मीदवार का नाम चुनाव चिन्ह आदि सभी जरूरी चीजें इस पर अंकित की गई ताकि मतदाता आसानी के साथ अपने उम्मीदवार को अपना वोट दे सके

चुनाव आयोग के सामने एक और बड़ी समस्या थी… वो थी देश के दुर्गम इलाकों में चुनाव करवाना — जैसे पहाड़ी इलाके या कुछ द्वीपों के समूह

इस चुनाव के दौरान मतपेटियों को इन दुर्गम इलाकों तक पहुंचाने के लिए, कई नदियों पर खासतौर से पुल्लो का निर्माण करवाया गया था तो कही सडको का निर्माण करवाया गया था वही हिंद महासागर के कुछ द्वीपों में मतदाता सूची पहुंचाने के लिए नौसैनिक पोतों का भी इस्तेमाल किया गया था

India first General Election FAQ

भारत में पहली बार चुनाव कब हुआ था

भारत में पहले आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। इसे पहले लोकसभा चुनाव के रूप में भी जाना जाता है। यह चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से लेकर  21 फरवरी 1952 तक मतलब 5 महीनों तक चला था इस चुनाव में भारतीय नागरिकों ने अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट किया था और भारतीय संविधान के अनुसार लोकतंत्र की शुरुआत की गई थी।

उम्मीद भारत का पहला चुनाव कैसे हुआ था | Indian first General Election या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें,  शुक्रिया

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