दिल सा वहशी कभी काबू में ना आया यारो
हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले
कुछ ऐसा ही हुआ पाकिस्तान के साथ, 15 अगस्त 1947 को आजादी के दुसरे दिन से ही पाकिस्तान में भारत पर अपनी भड़ास निकालना सुरु कर दिया था, और पाकिस्तान की इसी भड़ास का एक मिशन था पनडुब्बी गाजी, जो भारत की सीमा में आई थी भारतीय युद्धपोत INS Vikrant को मारने और खुद एसी मोत मरी की आज तक रहस्य बना हुआ है
ये बात है 1971 की जब भारत पाक युद्ध सुलग चूका था, पाकिस्तान भारतीय विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को लेकर काफी ज्यादा चिंता में था जब युद्ध के अलग अलग मोर्चो पर प्लान बनाए गए तो इन्ही में से एक प्लान बनाया गया भारतीय युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को नष्ट करने का और जिसकी जिमेदारी दि गई पनडुब्बी गाजी को
8 नवंबर 1971 को सुबह सुबह का समय था पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी के कप्तान जफ़र मोहम्मद को नौसेना मुख्यालय बुलाया गया जहा नेवेल वेलफेयर ऑफ ऑपरेशन प्लान्स के निदेशक भोम्बल ने एक लिफाफा देते हुए कहा की नौसेना प्रमुख ने आप को भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को तबाह करने की जिमेद्दारी दि है, इस लिफाफे में आईएनएस विक्रांत की सभी जानकरी व जरुरी निर्देश है आप को अगले 10 दिनों में इस मिशन के लिय कूच करना है
14 से 24 नवंबर के बिच पाकिस्तान ने अपनी सभी पनडुब्बीयों को पहले से तय गश्ती इलाकों की और आगे बढ़ जाने का आदेश दे दिया था पनडुब्बी पीएनएस गाजी को पहले बंगाल की खाड़ी में जाकर आईएनएस विक्रांत को ढूढ़ने व तबाह करने का आदेश मिला, उस समय पाकिस्तान के पास गाजी ही एकमात्र एसी पनडुब्बी थी, जो इतनी दूर जाकर किसी दुसरे देश के जलक्षेत्र में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता रखती थी
इतनी लम्बी दुरी तय करके भारतीय जल क्षेत्र में घुसकर, भारतीय पोत पर हमला करने की इस नासमझ के पीछे पाकिस्तान की समझ ये थी की अगर गाजी विक्रांत को तबाह करने या नुकशान पहुचाने में सफल होती है तो इसका भारत पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ेगा वही पाकिस्तान की नौसेना क्षमता का प्रभाव बढ़ जायेगा… यही कारण रहा की पाकिस्तान ने सभी आशंकाओ के बावजूद इस मिशन को मंजूरी दे दि थी
आईएनएस विक्रांत
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला वायुयान वाहक पोत था जिसे 1961 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था 1971 के भारत पाक युद्ध के वक्त आईएनएस विक्रांत के कमांडर कैप्टन अरुण प्रकाश थे, इनके पास जो इस पोत की जो रिपोर्ट थी उसके अनुसार विक्रांत के बॉयलर के वाटरड्रम में क्रैक आ गए थे जिनकी मरम्मत भारत में नहीं हो सकती थी और यही वजह थी की 1965 के युद्ध में भी विक्रांत को शामिल नहीं किया गया था
इस वक्त विक्रांत, बॉयलर में क्रैक की वजह से अधिकतम 12 नॉट्स की गती से ही चल सकता था जबकि किसी भी विमानवाहक पोत के लिए यह जरुरी होता है की लड़ाकू विमान को हवा में उड़ाने के लिए उसकी गती 20 से 25 नॉट्स हो
इस समय विक्रांत भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में तैनात था लेकिन इसके ख़राब हालत को देखते हुए नौसेना मुख्यालय ने तय किया कि इसे पूर्वी बेड़े का हिस्सा बनाने में ही भलाई है
नवंबर 1971 को पाक जासूस, पाकिस्तानी हैंडलर्स को विक्रांत के बम्बई में होने सूचना दे रहे थे लेकिन 13 नवंबर को उनको पता चला की विक्रांत अचानक गायब हो गया है, लेकिन कुछ ही समय बाद पाकिस्तानी जासूसों को फिर से पता चला की विक्रांत अब मद्रास पहुच चूका है
कहा तो ये भी जाता है की पाकिस्तान समर्थक एक पश्चिमी देश का जहाज मद्रास आया और यहाँ इसमे कुछ ख़राबी आ गई जिसकी वजह से उसने मद्रास बंदरगाह के आसपास कई परिक्षण उड़ानें भरी, माना जाता है की इन उड़ानों का उद्देश्य विक्रांत के यहाँ होने की पुष्टि करना भी था
इधर भारत में ख़ुफ़िया तरीके से वायरलेस संदेश सुनने वाले मेजर धर्मदेव दत्त, पाकिस्तानी नौसेना का एक कोड तोड़ने में सफल हो गए, यही से पहली बार भारतीय रक्षा तंत्र को पता चला की पाकिस्तानी नौसेना का मुख्य उद्देश्य भारतीय पोत आईएनएस विक्रांत को तबाह करना है और दूसरा उद्देश्य अपनी पनडुब्बीयों का इस्तेमाल करते हुए भारतीय अन्य पोतों को डुबाना है
पनडुब्बी पीएनएस गाजी का सफ़र
पनडुब्बी पीएनएस गाजी 14 नवंबर 1971 को कराची से अपने मिशन की और रवाना हुई, गाजी कराची से पहले श्रीलंका गई और वहा त्रिंकोमाली में 18 नवंबर को इंधन भरवाया. गाजी यहाँ से अपने मिशन पर निकलने वाली ही थी की उसे कराची से संदेश मिला की विक्रांत अब मद्रास में भी नहीं है
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की पाकिस्तान लगातार अपने जासूसों से विक्रांत की पल पल की खबर ले रहा था और अपने मिशन में लगे लोगों तक पंहुचा रहा था, लेकिन भारतीय एजेंसिया भी तू डाल डाल मैं पात पात खेल रही थी
पनडुब्बी पीएनएस गाजी के कप्तान जफ़र मोहम्मद ने कराची संदेश भेजा की, अगर विक्रांत मद्रास से गायब हो गया है तो अब उसके लिए अगला आदेश क्या है इसलिए कराची में बैठे अधिकारियो ने पाकिस्तान के पूर्वी बेड़े के कमांडर को संदेश भेजा की क्या आपके पास विक्रांत के मूवमेंट की कोई जानकारी है, ये संदेश जो पाकिस्तानी हैंडलर्स आपस में एक दुसरे को भेज रहे थे, इन संदेश को भारत में मेजर धर्मदेव दत्त पहले से ही डिकोड करने में लगे हुए थे और उसी के अनुरूप भारतीय नौसेना अपने प्लान बना रही थी
उधर पाकिस्तान भी अपने जासूसों और भारतीय एजेंसियों के संदेशो के आधार पर अपने मिशन को धीरे धीरे आगे बढ़ा रहा था… पाकिस्तान नौसेना ने गाजी के कमांडर जफ़र खान को संदेश भेजा की इस वक्त विक्रांत विशाखापट्टनम पहुच चूका है यह मोका पाकिस्तान के लिए सबसे अच्छा था यहाँ आईएनएस विक्रांत को तबाह करना अन्य बंदरगाहों की बजाय सुविधाजनक था
23 नवंबर 1971 को गाजी त्रिंकोमाली से विशाखापटनम के लिए रवाना हुई, 25 नवंबर को उसने चेन्नई को पार किया और 1 दिसंबर की रात विशाखापट्टनम बंदरगाह के नेविगेशनल चैनल में दाखिल हो गई यहाँ गाजी के कमांडर जफ़र खान के लिए प्रोबलम ये थी की विशाखापट्टनम बंदरगाह की गहराई कम होने की वजह से गाजी 2.1 नॉटिकल माइल पहले ही रूक गई, क्यों की गाजी का इससे आगे जाना पॉसिबल नहीं था
कमांडर जफ़र ने फैसला लिया की, वो यही रुकेंगे और विक्रांत के बाहर निकलने का इंतजार करेंगे, इस बीच गांजी के मेडिकल टीम ने बताया की पनडुब्बी के फ्युम्स से नौसेनिको के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है साथ ही पनडुब्बी को भी खतरा बढ़ रहा है इसलिए तय किया गया की रात में समुन्द्र की सतह पर आकर ताज़ी हवा ले ली जाएगी और इसी वक्त बैटरिया को भी बदला जायेगा
पीएनएस गाजी में इस वक्त हाइड्रोजन स्तर लगातार सुरक्षा मानको से ऊपर जा रहा था जिससे गाजी में विष्फोट होने का खतरा बढ़ रहा था लेकिन कमांडर जफ़र को पता था की दिन के समय पनडुब्बी को ऊपर लेकर आना खतरे से खाली नहीं था क्यों की गाजी काफी बड़ी पनडुब्बी थी और यह दूर से नजर आ सकती थी
शाम 5 बजे के आसपास एक नाविक बेहोश हो गया, इसलिए मेडिकल टीम ने सलाह दि की हम रात तक का इंतजार नहीं कर सकते हमें अभी ऊपर सतह पर चलाना होगा, पुरे मामले को देखते हुए कमांडर जफ़र ने आदेश दिया की पनडुब्बी को पहले समुंद्री सीमा से 27 फीट निचे तक ले जाया जाए. वहा तक आकर कमांडर जफ़र ने पेरिस्कोप से बाहर की स्थिति देखी तो कमांडर सन्न रह गए
कमांडर ने देखा की उनसे महज 1 किलोमीटर दुरी पर एक बड़ा भारतीय पोत उन्ही की दिशा में चला आ रहा है, जफ़र ने तुरंत गाजी को निचे डाईव करने का आदेश दिया. और मात्र 90 सेकण्ड में गाजी फिर से समुद्र तल पर चली गई, इसी वक्त भारतीय पोत गाजी के ऊपर से आगे निकल गया
कमांडर जफ़र निचे रहकर ही हालात सामान्य होने का इंतजार करते रहे थे, पर दूषित हवा की वजह से पनडुब्बी में मोजूद नौसेनिको की तबियत लगातार खराब हो रही थी लिहाजा फैसला लिया गया की 3 – 4 दिसंबर की रात 12 बजे ऊपर जाकर 4 घंटे मरम्मत का काम करके सुबह 4 बजे वापस निचे आ जायेंगे
यह वो समय था जब गाजी अपनी नौसेना मुख्यालय से संपर्क नहीं कर पा रही थी और उन्हें नहीं पता था की बाहर क्या हो रहा है इधर पकिस्तान ने 3 दिसंबर की शाम 5 बजकर 45 मिंट पर भारत पर हमला कर दिया था,
3 – 4 दिसंबर की आधी रात का समय था प्रधानमंत्री इंदिरागाँधी देश को संबोधित कर पाकिस्तानी हमले की सीचना दे रही थी, अभी प्रधानमंत्री का भाषण चल ही रहा था की विशाखापट्टनम बंदरगाह से थोड़ी दूर एक जबरदस्त धमाका हुआ. धमाका इतना तेज था की बंदरगाह के पास बने घरों के शीशे तक टूट गए थे
बंदरगाह के पास वाले लोगो ने देखा की काफी उचाई तक पानी उछल का गिरा , ऐसा लगा मानो भूकंप आ गया है कुछ लोगो ने तो यहाँ तक समझ लिया की पाकिस्तानी वायुसेना ने बमबारी सुरु कर दि है
लेकिन यह धकामा पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी में हुआ था, इस विस्फोट का समय था 12 बजकर 15मिंट, बाद में गाजी से एक घड़ी मिली थी जिसने भी, इसी समय पर काम करना बंद कर दिया था इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह धमाका इसी समय पर हुआ था
लेकिन इस कहानी का यहां अंत नहीं होता है सबसे मजे की बात यह है कि इस कहानी की रोचकता यहां से शुरू होती है
हकीकत कहानी यह है की जब विशाखापट्टनम बंदरगाह पर पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी तबाह हुई थी उस समय भारतीय वायुयान पोत आईएनएस विक्रांत विशाखापट्टनम बंदरगाह पर था ही नहीं
हुवा कुछ यूं था की वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से भारतीय नौसेना को, पाकिस्तान के इस मिशन के बारे में पता चला तो भारतीय नौसेना ने भी इसका मुहतोड़ जवाब देने का प्लान तैयार कर लिया था
चूंकि पाकिस्तानी पनडुब्बी भारतीय पोत आईएनएस विक्रांत को तबाह करने के लिए आई थी इसलिए भारतीय नेवी ने विक्रांत को पहले ही मद्रास बंदरगाह से विशाखापट्टनम की बजाय अंडमान निकोबार भेज दिया था
अब यहां भारतीय नौसेना को जरूरत थी कि पाकिस्तान पनडुब्बी गाजी को अपने जाल में फसाया जाए, इसलिए इसके लिए एक विशेष प्लान तैयार किया गया —
विक्रांत की जगह भारतीय वायुसेना के एक अन्य युद्धपोत INS राजपूत का सहारा लिया गया और इसको विशाखापटनम बंदरगाह से 160 किलोमीटर दूर ले जाया गया और उससे कहा गया कि वह विक्रांत के कॉल साइन का इस्तेमाल करें और उसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर खूब सारी रसद की मांग करें जो की विक्रांत जैसे विशालकाय युद्धपोत के लिए जरूरी होती है
इसी समय भारतीय नौसेवा द्वारा विशाखापट्टनम बाजार से खूब सारी मात्रा में राशन, मांस- मछली और सब्जियां खरीदी गई ताकि विशाखापट्टनम में मौजूद पाकिस्तानी जासूसों को यह लगे की विक्रांत यहीं पर आने वाला है –
यह एक पाकिस्तानी पनडुब्बि गाजी को फ़साने के लिए फेंका गया जाल था जो की सफल रहा – यह प्लान काम कर गया कैसे — पाकिस्तान ने अपने जासूसो से मिले इनपुट के आधार पर पाकिस्तानी नौसेना ने गाजी को विक्रांत के विशाखापट्टनम में होने की गलत सूचना दे दि –
और गाजी जो की भारतीय विमान वाहक पोत INS Vikrant को तबाह करने के लिए आई थी वो खुद भारतीय नौसेना के जाल में फसकर ख़त्म हो गई
गाजी के डूबने का असली कारण
पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी के डूबने के कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं रखे गए हैं, इसकी वास्तविक कहानी क्या थी स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश आज तक बचते आए हैं
- गाजी के डूबने के कारणों पर सिर्फ कयास ही लगाये जा सकते हैं इस हादसे के बाद, भारतीय नौसेना द्वारा कहा गया था की भारतीय युद्धपोत आईएनएस राजपूत द्वारा मार गिराया गया था
- हालांकि बाद में यह भी अनुमान लगाया गया की गाजी अपने द्वारा ही बिछाई गई बारूदी सुरंग के ऊपर से गुजर गई थी और विस्फोट हो गया था
- सुरक्षा एजेंसीयों द्वारा यह भी माना गया था कि गाजी अपने साथ जिन बारूदी सुरंगो को लेकरचल रही थी उन में अचानक विस्फोट हो गया और वह नष्ट हो गई थी
- लेकिन इन सब सम्भावनाओं के बिच एक और बात सामने आई वो थी की गाजी मे हाइड्रोजन गैस का स्तर काफ़ी ज्यादा बढ़ गया था जिससे उसमें विस्फोट हो गया था
जब गाजी के अवशेषों की जाँच की गई और टूटे हुए भाग को देखा गया तो चोथे कारण को ही ज्यादा बल मिला बाकि स्पष्ट अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है
और इस प्रकार जाल बिछाने वाला पाकिस्तान हार कर बैठ गया
INS Vikrant FAQ
आईएनएस विक्रांत कब बनाया गया था
INS Vikrant भारत का पहला विमान वाहक युद्धपोत था, जिसे भारत ने 1957 को ब्रिटेन से ख़रीदा था… विक्रांत का निर्माण 1943 को ब्रिटेन के ब्रिस्टल डॉकयार्ड में शुरू हुआ था. भारत द्वारा INS Vikrant को नौसेना में 1961 को सेवा में लगाया गया था
आईएनएस विक्रांत क्या था
INS Vikrant भारतीय नौसेना का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर / विमान वाहक युद्धपोत था जिसे ब्रिटिश नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस हरक्युलिस को मॉडिफाई करके बनाया गया था
आईएनएस विक्रांत कहा पर है
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला विमान वाहक युद्धपोत था जिसने भारतीय नौसेना के लिए 1961 में काम करना सुरु किया था जिसकी 1971 के भारत पाक युद्ध में अहम् भूमिका रही थी, 1997 में इसको 1997 को सेनावृति दे दि गई जिसे अब मुंबई के नौसेना संग्रालय में रखा गया है
आईएनएस विक्रांत किस शिपयार्ड में बनाया गया था
INS Vikrant का निर्माण दो भागो में पूरा हुआ था, सबसे पहले 1943 को एचएमएस हरक्युलिस नाम से इसका निर्माण ब्रिटिश रॉयल नेवी के लिए ब्रिटेन के ब्रिस्टल डॉकयार्ड में सुरु हुआ था जिसे पूर्ण निर्माण से पहले ही 1957 को भारत ने खरीद लिया था, जिसका बचा हुआ निर्माण कोचीन शिपयार्ड में पूरा हुआ था और भारत लाकर ही इसका नाम आईएनएस विक्रांत रखा गया था
आईएनएस विक्रांत का पुराना नाम क्या था
भारत ने 1957 में ब्रिटेश से एक निर्माणाधीन विमानवाहक युद्धपोत ख़रीदा था जिसका नाम एचएमएस हरक्युलिस था जिसका भारत लाकर निर्माण पूरा किया और नया नाम दिया गया आईएसी विक्रांत जिसको 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया
भारत के पास कितने आईएनएस विक्रांत है
वर्तमान में भारत के पास तो दो विमानवाहक युद्धपोत है पहला आईएनएस विक्रमादित्य और दूसरा आईएसी विक्रांत, यहाँ भ्रामिकता यह है आईएनएस विक्रांत– जो भारत का पहला, विमानवाहक युद्धपोत था वह अब रिटायर्ड हो चूका है
गाजी के साथ क्या हुआ था
पाकिस्तानी की पनडुब्बी गाजी भारतीय विशाखापटनम बंदरगाह के पास रहस्यमयी तरीके से विस्पोट के बाद तबाह हो गई थी जिसमे 93 सैनिक डूब गए थे जिसने 11 पाक नौसेना के अधिकारी भी शामिल थे
गाजी पर अटैक कब हुआ था
गाजी पाकिस्तान की पनडुब्बी थी जो भारतीय युद्धपोत विक्रांत को नष्ट करने आई थी लेकिन 3- 4 दिसंबर 1971 की आधी रात को विशाखापट्टनम बंदरगाह से थोड़ी दूर एक जबरदस्त धमाका हुआ. और यह पूर्वरूप से नष्ट हो गई
क्या गाजी एक सची कहानी है
यह सच है की पाकिस्तानी पनडुब्बी भारतीय जल क्षेत्र में रहस्यमई विष्फोट के बाद तबाह हो गई थी जो की विशाखापट्टनम बंदरगाह से कुछ ही दुरी पर हुआ हालाँकि आज तक दोनों ही देश इस पर स्पष्ट कहने से बचे है कहा जाता है की यह भारतीय युद्धपोत को नष्ट करने आई थी और भारतीय सुरक्षा एजेंशियो के जाल में फस गई
गाजी पनडुब्बी क्या है
गाजी पाकिस्तानी की पहली तेज हमला करने वाली पनडुब्बी थी जो की 1971 में रहस्यमय तरीके से नष्ट हो गई थी
पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी का निर्माण कहा हुआ था
गाजी का निर्माण अमेरिका में हुआ था जिसको 1943 से 1963 तक सयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना की सेवा के बाद 1963 में अमेरिका द्वारा इसे पाकिस्तान को लीज पर दिया गया था
उम्मीद Palanhar Scheme / पालनहार योजना क्या है या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, शुक्रिया
यह भी जाने 👇👇