ख़म ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पांव उखड़;
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है..!!
Gordhan Verma कैसे बने प्रधान जी से दबंग नेता – संघर्ष से सत्ता तक

यादें 90 के दशक की, खेती किसानी करते गावों के परिवार में पढ़ाई गांव की पाठशाला के स्तर तक हुआ ही करती थी… यदि पाठशाला प्राइमरी स्तर तक होती तो गांव की शिक्षा का स्तर प्राइमरी स्तर का और पाठशाला सेकेंडरी होती तो स्तर सेकेंडरी तक…

शहर की बड़ी स्कूल और कॉलेज तक तो उस समय गांव के चंद उंगलियों पर गिने जाने जितने लोग ही पहुंच पाते थे. ऐसे में सीकर जिले के सरवड़ी गांव से निकले एक युवा ने उच्च शिक्षा के लिए सीकर जिला मुख्यालय पर स्थित श्री कल्याण महाविद्यालय में दाखिला भी लिया और स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी की… फिर राजनीति में अनभिज्ञता वाली पृष्ठभूमि लिए इस युवा ने राज्य की शीर्ष पंचायत विधानसभा तक का सफर तय किया… आखिर कौन है यह शख्सियत.. ?

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जी हां ! आपने सही पहचाना हम बात कर रहे हैं धोद विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री गोवर्धन वर्मा की, जो विधायक जी के नाम से कम और प्रधान जी के नाम से ज्यादा जानें गए, तो आइए प्रधान जी की पृष्ठभूमि को समाहित करते हुए उनके प्रेरणादाई व्यक्तित्व को समझते हैं ।

प्रधान जी का धोद के प्रशासनिक ढांचे को लेकर एक सीधा सा तर्क है… 57 ग्राम पंचायत वाली जिले की सबसे बड़ी तहसील के कुशल प्रशासन संचालन के लिए सीकर ग्रामीण और धोद के रूप में करीब 28-30 ग्राम पंचायत वाली दो पंचायत समितियों व दो तहसील मुख्यालयों की स्थापना किया जाना बेहद जरूरी है।

सीकर ज़िले की श्री कल्याण महाविद्यालय में अध्ययनरत श्री गोवर्धन वर्मा अपनी स्टीकता व तार्किकता से लबरेज़ अभिव्यक्ति से अपनी मित्रमंडली में एक अनूठा चुम्बकत्व बना चुके थे, हक़ की आवाज के लिए छात्रों के हितों में आगे आने लगे थे, दर्जन-भर दोस्तों के साथ मध्यम से कद काठी वाले चॉकलेटी चेहरे का अभिव्यक्ति कौशल व आत्मविश्वास – काबिल-ए-तारीफ था… नेतृत्व क्षमता धीरे-धीरे जन्म लेने लगी थी कि साथियों की थपकी ने ABVP से छात्र संघ चुनाव में महासचिव पद पर चुनाव लड़वाया ।

चुनाव हार गए जो लगभग निश्चित ही था क्योंकि डेढ़ दशक से कम्युनिस्ट पार्टी के छात्रसंगठन SFI का दबदबा था, वहां पहली बार ABVP ने आशा की किरण पैदा की… फिर अगले साल ABVP ने संयुक्त मोर्चा बनाकर छात्रसंघ चुनाव में पहली बार बाज़ी मारी जिसमें युवा चेहरे की संगठनात्मक नेतृत्व क्षमता दृष्टिगत हुई ।

गोवर्धन वर्मा उस परिवार से आते थे जिसने राजनीति में ग्राम पंचायत में पंच तक का भी चुनाव भी नहीं लड़ा था, यहां पढ़ाई का मतलब सरकारी नौकरी लगना जन्नत नसीब होने के बराबर माना जाता था… लिहाजा राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई चल रही थी और वर्ष 2000 में RAS प्री परीक्षा उत्तीर्ण कर मुख्य परीक्षा में शामिल हुए यहां मात्र 6अंक की दूरी से इस परीक्षा के अंतिम और निर्णायक चरण इन्टरव्यू से वंचित हो गए….

फिर LAW में भविष्य की तलाश करने की ललक लिए LLB की पढ़ाई शुरू की…..इसी दौरान वर्ष 2005 में पंचायती राज चुनाव में जो साथी गोवर्धन वर्मा का व्यक्तित्व पहचानते थे वे एक जिद और दूसरा विश्वास लिए अपने साथी को पंचायत समिति चुनाव में अपने वार्ड से दूर सेवा, फागलवा, पालवास वाले वार्ड से चुनाव लड़वाया और करीब 600 वोटों से विजयी हुए, फिर भाग्य और लोगों का विश्वास रहा कि दो तिहाई बहुमत से प्रधान पंचायत समिति धोद निर्वाचित हुए।

अब जिम्मेदारी थी जनता के विश्वास पर खरा उतरने की और अपनी नेतृत्व क्षमता को फलीभूत करने की, इस 2005-09 के काल में ही पंचायती राज को मजबूत करने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत हुई थी…बस इसे ग्राउंड स्तर तक अमलीजामा पहनाने की जरूरत थी… लिहाजा गोवर्धन वर्मा ने 2 दिन ऑफिस और 5 दिन फील्ड में काम करने वाला एक पैटर्न तय किया…

क्षेत्र के करीब 70 फीसदी कच्चे रास्तों को ग्रेवल सड़क में तब्दील करना इसी समय तय हुआ…5 दिन फील्ड में रहने वाले गोवर्धन वर्मा के जवाबदेहिता पूर्ण मनोयोग ने जहां लोगों तक पहुंच सुनिश्चित की ग्रासरूट तक की समस्या चिन्हित हुई… योजनाओं की सफल क्रियान्विति सुनिश्चित हुई…और वही से नरेगा मजदूरों की जुबां से “प्रधानजी” नाम निकला…

श्री गोवर्धन वर्मा भी लोगों की संवेदना समझ गए और प्रधानजी के नाम से अपनत्व भाव को महसूस किया, बस एक निर्मल और स्वच्छ राजनीति ही नहीं – बलकी लोकनीति का आयाम स्थापित किया… आत्मा प्रोजेक्ट के तहत निःशुल्क बीज वितरण का क्रियान्वयन निष्पक्ष भाव से किया तो कृषि आदानो के प्रशिक्षण में अहम भूमिका अदा की, पेयजल व्यवस्था, सार्वजनिक टैंक निर्माण, खुर्रा निर्माण,जलनिकासी व्यवस्था को भी प्राथमिकता के तौर पर लिया… वाकई सफल पांच साल में एक साख बनाई, वो भी ग्रासरूट के नेताओं में, आमजन में, और इस तरह एक सामान्य परिवार के गोवर्धन वर्मा…. प्रधान जी के नाम से मशहूर हो गए..!!

2008 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता की आवाज़ जब सत्ता और संगठन पदाधिकारियों तक पहुंची तो विधानसभा चुनाव में BJP की उम्मीदवारी दी गई, पर यहां सफ़र आसान कहां था — 23 हजार के वोट बैंक के सहारे जीत कहां थी …. ग्रासरूट स्तर तक केवल कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता थे वोटबैंक था… बिना लवाजमे के प्रधान जी ने विधानसभा क्षेत्र में चुनावी दौरा सुरु किया… जब परिणाम आए तो पहली बार करीब 35 हजार वोट मिले, तो हार का अंतर थोड़ा कम हुआ

उम्मीद की किरण पैदा हुई, फिर अनवरत जनजुड़ाव जारी रखा… वर्ष 2013 में पुनः संगठन और सत्ता ने विश्वास जताया और इस बार सैफरॉन वैव यानी भगवा लहर भी थी और चॉकलेटी चेहरा लिए एक मजबूत उम्मीदवार प्रधान जी भी, नतीजा – करीब 89 हजार वोट लेकर करीब 45 हजार के बड़े अंतर से जीत हासिल की जो राज्य भर की टॉप 5 जीत के रूप में पेश हुई – अब लोग हर्षित थे और आश्चर्यचकित… और हो भी क्यों ना जीत जो ऐतिहासिक थी और विराटता वाली भी… अब हमारे प्रधान जी – विधायक बन गए।।

विधायक भले ही बन गए पर नाम तो जुबां पर वही था… प्रधान जी… अजीब लगता है पर हकीकत थी, यही कमाई थी, यही शाख थी यही विश्वास था… जो प्रधान जी के नाम से मशहूर हुए. इस बात पर शम्सी मिनाई की कालजई रचना का यह अंश याद आता है…

“जंगल में भी खिला तो रही फूल की महक;
गुदरी में रह के लाल की जाती नहीं चमक !!”

गुदड़ी के लाल के रूप में पेश हुए प्रधान जी के पास अब जिम्मेदारी बड़ी थी लिहाज़ा वहीं तरीक़ा जारी रखा… आमजन के बीच मैं रहकर मूलभूत सुविधाओं के लिए शासन तक दस्तक देना… जो सड़कें प्रधानी के समय कच्चे रास्तों से ग्रेवल सड़क में तब्दील हो चुकी थी वो डामरीकरण की कामना ले रही थी… लिहाजा निकटवर्ती विधानसभा क्षेत्र डीडवाना से आते सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनस खान से जुगलबंदी रखी और सीकर जिले में सर्वाधिक डामरीकरण काम यही हुआ…

अब गांवों की पहुंच शहरों तक हो गई, जिसमें मुख्यत:– सीकर-सेवदबड़ी-सालासर ऱोड़, सीकर-टाटनवा-शाहपुरा-डीडवाणा रोड़, सीकर-धोद-सरवड़ी-सिंगरावट रोड़, सीकर-धोद-बोसाणा-लोसल रोड़, लोसल-शाहपुरा-सालासर-रतनगढ धार्मिक पर्यटन स्थल रोड़, हर्ष पर्वत पर्यटन स्थल रोड़ जो इस कार्यकाल की विशिष्ट सड़कें हैं जो करोड़ों रुपए के बजट जुटाने पर MDR रोड़ और स्टेट हाईवे के रूप में विकास में गतिशीलता आईं ।

इसी कार्यकाल में जिले में सर्वाधिक 33 विद्यालय सेकेंडरी से सीनियर सेकेंडरी स्कूल में क्रमोन्नत हुए, करीब 13 GSS बनाए गए जो किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में मददगार साबित हुए, प्याज उत्पादक क्षेत्र के लिए लम्बे समय से किसानों की विशेष उपज मंडी के रूप में मांग रही थी लिहाजा किसानों को यह तोहफा प्याज़ मंडी की स्थापना रसीदपुरा में इनके काल में मिला,

पशु चिकित्सा उप स्वास्थ्य केन्द्र भी जिले में सर्वाधिक बने, साथ ही इन्हीं के कार्यकाल में तहसील भवन और पंचायत समिति भवन का निर्माण भी करवाया गया … अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्य भी बड़ी गतिशीलता के साथ हुए…जो पांच साल के कार्यकाल को यादगार बना गये ।

प्रधान जी का धोद के प्रशासनिक ढांचे को लेकर एक सीधा सा तर्क है, 57 ग्राम पंचायत वाली जिले की सबसे बड़ी तहसील के कुशल प्रशासन संचालन के लिए सीकर ग्रामीण और धोद के रूप में करीब 28-30 ग्राम पंचायत वाली दो पंचायत समितियों व दो तहसील मुख्यालयों की स्थापना किया जाना बेहद जरूरी है।

प्रधान जी आज भी लोगों के विश्वास के एहसानमंद है कि एक गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले सामान्य कृषक परिवार से आते युवा चेहरे पर विश्वास किया और राजनीतिक सफरनामे को मजबूत किया…

प्रधान जी के लिए तो यही कह सकते हैं…

“मेरे हौसलों पे मुन्हसिर रही तक़दीर मेरी,
हाथ की लकीर भी बदल गयीं जब सोचा मैंने!!

फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले प्रधान जी के नाम से मशहूर चॉकलेटी चेहरे व उन्नत व्यवहार कुशलता लिए श्री गोवर्धन वर्मा का जीवनचरित्र किसी जनसामान्य के लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय उदाहरण है ।

जनता जनार्दन है वह हीरे और कोयले की पहचान रखती है परखती सभी को है पर स्वीकार उसी को करती है जो दिलों तक दस्तक देने का माद्दा रखता हो…!!

श्री गोवर्धन वर्मा जनता के विश्वास को सलाम करते हुए बातचीत में धोद की जनता के लिए कहा….
“तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा !!
आप मुझे जब और जिस रूप में याद करोगे सदैव तत्पर और तैयार मिलूंगा, आपके विश्वास को सदैव सम्मान से सिर पर रखूंगा… जनता सेवक हूं सेवक रूप में ही मिल पाऊंगा.!!”

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Gordhan Verma FAQ

गोरधन वर्मा का जन्म कब हुआ था

सीकर जिले के धोद विधानसभा क्षेत्र से पहले [प्रधान व फिर विधायक रहे Shree Gordhan Verma का जन्म …. को सरवडी ग़ाव में हुआ था

गोरधन वर्मा का राजनितिक सफरनामा

Gordhan Verma ने अपने राजनितिक सफ़र श्री कल्याण महाविद्यालय, सीकर से सुरु किया था जहा ABVP से छात्र संघ चुनाव में महासचिव पद का चुनाव लड़ा था हालंकि यह चुनाव हार गए थे पर यही से संगठन में मजबूत स्थिति बना पाने में सक्षम रहे, उसी का परिणाम की आगे चलकर धोद प्रधान के रूप में जीत हासिल की तो फिर विधायक के रूप में भारी मतों से विजय रहे

गोरधन वर्मा कितने वोटों से जीते

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में धोद विधानसभा से भाजपा प्रत्यासी गोरधन वर्मा 13378 वोटो से विजय रहे, इस चुनाव में गोरधन वर्मा को कुल 85543 वोट मिले तो नजदीकी प्रतिद्वंदी सीपीआई एम उम्मीदवार पेमाराम को 72165 वोट मिले