जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी है, राजस्थान वही जो प्राचीन काल से ही अपने राजाओं और रियासतों के लिए जाना जाता रहा है। इसमे जयपुर प्रमुख शहर है। जयपुर में राजा-महाराजाओं द्वारा निर्मित काफी धरोहरें है जिनमें आपको घूमने के लिए कई प्राचीन महल, प्राचीन इमारतें और किले मिल जाएँगे। Jaipur mein Ghumne ki Jagah
जयपुर की अधिकतर इमारतें गुलाबी पत्थरों से बनी हैं, इसी वजह से जयपुर को गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि जयपुर में घूमने की 10 से ज्यादा जगहें… इसके साथ ही आपको बताएँगे की जयपुर में रुकने की जगहें और जयपुर घूमने में कितना खर्च आएगा । गिद्ध और छोटी लड़की की सची कहानी
जयपुर शहर अपनी शाही शान-शौकत और विभिन्न खूबसूरत जगहों के लिए देश के साथ साथ विदेशों में प्रसिद्ध है। जयपुर का पहनावा, संस्कृति और सामाजिक परिवेश मन को मोह लेता है। भारत और अन्य देशों से लाखों की संख्या में पर्यटक जयपुर घूमने आते रहते हैं। अपने पर्यटन स्थलों के साथ-साथ जयपुर खाने-पीने के लिए भी बहुत लोकप्रिय है। जयपुर में खाने के लिए घेवर और दाल बाटी चूरमा बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं। तो आइये जानते है जयपुर के कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में …
जयपुर के प्रमुख पर्यटक स्थल
जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों से जुड़ी कोई न कोई कहानी है। जयपुर में सदियों पुरानी वीरता की कहानियों और ऐतिहासिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। जयपुर घूमने आने वाले पर्यटकों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहता है। आप भी जयपुर की इन मशहूर जगहों पर घूम सकते हैं… भारत का सबसे सुंदर गांव
आमेर का किला
यह किला अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित जयपुर की शाही शान को उजागर करने वाला एक अनूठा किला है। इस किले की खूबसूरती को निहारने और इतिहास को जानने के लिए हर साल यहा लाखों की संख्या में पर्यटक घुमने आते है। इस किले को जयपुर के प्रमुख स्थलों में गिना जाता है। यह ऐतिहासिक किला अपनी खूबसूरत हिंदू वास्तुकला और भव्यता के लिए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है।
इस किले का निर्माण महाराजा मानसिंह ने 1592 में सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से करवाया था। आमेर किले को आम्बेर किले के नाम से भी जाना जाता है।
इस किले के अंदर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, सुख निवास और रहने के लिए शीश महल स्थित हैं। शीश महल की छत पर खूबसूरत कांच के टुकड़े लगे हैं जिन्हें राजा ने बेल्जियम से मंगवाया था। आमेर किले के अन्दर एक गुप्त रहस्यमयी 2 किलोमीटर लंबी सुरंग है जो की जयगढ़ किले तक जाती है। वर्तमान में यह सुरंग बंद कर दी गई है। इस किले के मुख्य द्वार पर देवी शिला का मंदिर है। किले की बेहतरीन खूबसूरती को देखते हुए यूनेस्को ने 2013 में इसे विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया है। अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा
आमेर किला घुमने का समय
यह किला सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। नवरात्रि के दौरान इस समय को केवल 10 दिनों के लिए बदल दिया जाता है। नवरात्रि के दौरान, किला सुबह 8 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुलता है। किले को अच्छी तरह से घूमने में पर्यटकों को 2 घंटे का समय लगता हैं।
किले में घुमने के लिए टिकट
इस किले में प्रवेश के लिए भारतीय पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 102 रुपये प्रति व्यक्ति है तथा छात्रों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रुपये है। इसमे विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 500 रुपये प्रति व्यक्ति है।
किले की जगह :
आमेर का किला जयपुर से लगभग 14 किमी. की दुरी पर मावठ सरोवर के पास स्थित है
हवा महल जयपुर
हवा महल जयपुर का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जैसा कि नाम वैसी ही ये ईमारत है हवा महल महान कारीगरों द्वारा बनाया गया एक बहुत ही आकर्षण का केंद्र है। हवा महल बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देता है। जयपुर में घूमने की जगह के रूप में हवा महल सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीन इमारत है।
हवा महल एक पाँच मंजिला प्राचीन ऐतिहासिक इमारत है जिसमें बहुत ही बेहतरीन डिजाइन में बनी 953 अनोखी खिड़कियाँ हैं। इस महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 में शाही महिलाओं के लिए करवाया था। ताकि शाही महिलाएं महल के अंदर से ही दैनिक जीवन और महल में आयोजित होने वाले समारोहों को स्पष्ट रूप से देख सकें।
चूने और लाल बलुआ पत्थर से बना हवा महल लगभग 27 मीटर ऊंचा है और जयपुर के हर्दय में स्थित है। यह महल जयपुर में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत है। हवा महल के ऊपर से पुराने जयपुर शहर का आकर्षक नजारा दिखाई देता है |
महल में घुमने के लिए टिकट
इस ऐतिहासिक महल को देखने के लिए प्रति व्यक्ति टिकट की कीमत मात्र 50 रुपये है। छात्रों के लिए टिकट की कीमत केवल 20 रुपये है। टिकट काउंटर हवा महल के पीछे की तरफ स्थित है। इसका प्रवेश द्वार हवा महल के पीछे स्थित है।
जल महल जयपुर
जल महल अपने सुन्दर आकर्षण और प्राकृतिक शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। जल महल मानसागर झील के बीचो-बीच बना पांच मंजिला ऐतिहासिक महल है जो बहुत खूबसूरत दिखता है। महल के चारों ओर अरावली पर्वत एक खूबसूरत नजारा दिखाता हैं। महल के अंदर दीवारों पर बनी खूबसूरत पेंटिंग मन को मोह लेती है। जल महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह ने अपनी रानियों के स्नान के लिए करवाया था। जल महल जयपुर से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित है। यह महल मुगल और राजस्थानी वास्तुकला का एक संयोजन है।
जल महल को रोमांटिक महल भी कहा जाता है। गर्मियों के मौसम में इस महल में गर्मी का अहसास बिलकुल भी नहीं होता है क्योंकि महल के निचे का कुछ हिस्सा पानी के अंदर बना हुआ है। चांदनी रात में झील के पानी में महल की खूबसूरती अनोखी दिखाई देती है। धीरे-धीरे जल महल पक्षी अभ्यारण्य में बदलता जा रहा है क्योंकि सर्दियों के मौसम में यहां कई प्रकार के प्रवासी पक्षी आते रहते हैं। जल महल पर्यटकों के लिए पूरी तरह से खुला नहीं है, इसे सिर्फ दूर से ही देखा जा सकता है।
बिरला मंदिर जयपुर
बिरला परिवार ने भारत के कई शहरों में बिरला मंदिर बनवाए हैं। इस परिवार ने 1939 में दिल्ली में पहला मंदिर बनवाया था। इसी तर्ज पर बिरला परिवार ने 1988 में जयपुर में भी बिरला मंदिर बनवाया।
जयपुर का बिरला मंदिर मोती डूंगरी पहाड़ी के पास घूमने के लिए एक आकर्षक एवं खुबसुरत जगह है। यह मंदिर सफेद संगमरमर पत्थर से बना हुआ है। यह दूर-दूर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। बिरला मंदिर भगवान लक्ष्मीनारायण जी को समर्पित है, इस कारण इस मंदिर को लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश को समर्पित मोती डूंगरी मंदिर बिरला मंदिर के ठीक सामने की तरफ स्थित है। मोती डूंगरी मंदिर जयपुर का सबसे प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है।
बिरला मंदिर में घुमने का समय
सुबह – 06:30 AM से 12 PM
शाम – 03:30 PM से 08:30 PM
जयगढ़ का किला जयपुर
जयगढ़ किला एक ऐतिहासिक इमारत के रूप में उत्कृष्ट शिल्पकला का नमूना है। इस किले को जीत का किला या विजय किला के नाम से भी जाना जाता है। इस किले का निर्माण महाराजा जय सिंह द्वितीय ने आंतरिक सुरक्षा के लिए 1667 में करवाना शुरू किया था जो 1726 में पूरा हुआ था । किला देखने में बहुत ही सुन्दर एवं भव्य लगता है।
जयगढ़ किले में आप दुनिया की सबसे बड़ी तोप जय बाण को देख सकते हैं। किले के अंदर तोप बनाने का कारखाना भी मौजूद है। इस किले के अंदर तीन पानी की टंकियाँ हैं। राजा अपने गुप्त खजाने को टंकी की दूसरी मंजिल पर रखते थे। जयपुर में घूमने के लिए यह एक अच्छा पर्यटन स्थल माना जाता है।
जयगढ़ का किले में घूमनें का टिकट
जयगढ़ किला को देखने के लिए टिकट शुल्क 150 रुपये प्रति व्यक्ति है और 5 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 75 रुपये है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं है। छात्रों के लिए शुल्क 75 रुपये है जो आईडी कार्ड में मान्य है। इस किले को देखने में लगभग 2 घंटे का समय लगता है।
जयगढ़ किले की लोकेशन
जयगढ़ किला जयपुर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बेहद ही खूबसूरत मावता झील के ऊपर चील का टीला (Hill of Eagle) नामक पहाड़ियों पर बना है। आमेर किले से जयगढ़ किले को साफ-साफ देखा जा सकता है। जयगढ़ किले तक पहुँचने के लिए आपको जयपुर शहर से कई तरह के वाहन मिल जाएँगे।
जंतर मंतर जयपुर
जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह ने करवाया था। इस ऐतिहासिक धरोहर को बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा था। जंतर मंतर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल कर लिया है। जयपुर में स्थित यह इमारत एक खगोलीय वेद-शाला है।
इस बेहतरीन इमारत में 14 तरह की वेद यात्राएं स्थापित हैं जिनका उपयोग समय मापने और तारों की चाल जानने के लिए किया जाता है। अगर आपने दिल्ली का जंतर मंतर देखा है तो आप जयपुर का जंतर मंतर देखने जा सकते हैं। जंतर मंतर देखने के बाद आपको पुरानी शिक्षा प्रणाली का पूरा ज्ञान हो जाएगा।
जंतर-मंतर का प्रवेश शुल्क
यहां टिकट की कीमत प्रति व्यक्ति 50 रुपये है तथा छात्रों के लिए 20 रुपये है। जंतर मंतर सुबह 9:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है।
सिटी पैलेस जयपुर
जयपुर शहर के बीचों-बीच स्थित सिटी पैलेस राजस्थानी तथा मुगल स्थापत्य शैली का अद्भुत संगम है। सिटी पैलेस भूरे संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है। इसे सोने जैसे रंग-बिरंगे पत्थरों को फूलों की आकृतियों से सजाया गया है। सिटी पैलेस 6 भागों में बंटा हुआ है। यहा अलग-अलग हिस्सों में बेशकीमती विरासत देखी जा सकती है। महल में चांदी और सोने के बर्तन और शाही विरासत देखने को मिलती है।
सिटी पैलेस के मुख्य द्वार पर एक प्राचीन तोप रखी हुई है जो आकर्षण का बड़ा केंद्र बनी हुई है। महल के मुख्य द्वार पर कठपुतली नृत्य देखा जा सकता है। सिटी पैलेस के अंदर आपको एक प्राचीन संग्रहालय मिलेगा, जिसमें आपको राजस्थानी वेशभूषा और मुगलों और राजपूतों के प्राचीन हथियार देखने को मिलेंगे।
सिटी पैलेस में घूमने और इसके इतिहास के बारे में जानने के लिए आप यहा गाइड की मदद भी ले सकते हैं। सिटी पैलेस के अंदर घूमने के लिए कई इलेक्ट्रिक कारें भी चलती हैं, जिनका किराया मात्र 150 रुपये है। अगर आप समय बचाना चाहते हैं तो इनमे बैठकर घूम सकते हैं।
सिटी पैलेस का प्रवेश शुल्क
सिटी पैलेस में घुमने के लिए टिकट शुल्क मात्र 300 रुपये है, जबकि छात्रों के लिए शुल्क 150 रुपये है।
नाहरगढ़ किला जयपुर
नाहरगढ़ किले का निर्माण 1734 ई. में जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने आमेर की सुरक्षा के लिए करवाया था। इस किले का नाम राजा नाहर सिंह के नाम पर रखा गया था। दंतकथा है कि महाराजा नाहर सिंह की आत्मा इस किले में भटकती रहती है, जिसके कारण इसे नाहरगढ़ किला कहा जाने लगा। यह किला अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित है।
महाराजा जयसिंह ने अपनी रानियों को गर्मी से बचाने के लिए इस किले का निर्माण करवाया था। यह किला जयपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले के अंदर अन्य इमारतों का निर्माण सवाई माधोसिंह और सवाई रामसिंह ने करवाया था।
नाहरगढ़ किले में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए राजाओं द्वारा कई तरीके अपनाए गए थे। जिन्हें भी यहाँ देखा जा सकता है। किले के अंदर महाराजा सवाई राम सिंह की नौ पत्नियों के लिए अलग-अलग खूबसूरत निवास महल भी बने हुए हैं, जिनकी बनावट बिल्कुल एक जैसी है। नाहरगढ़ किले के ऊपर से आप जयपुर शहर का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं।
नाहरगढ़ किले का प्रवेश शुल्क
इस किले में प्रवेश सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक होता है। किले में घूमने के लिए प्रति व्यक्ति 50 रुपये का प्रवेश शुल्क लिया जाता है, और छात्रों के लिए टिकट शुल्क केवल 20 रुपये है और अन्य देशों के पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 200 रुपये है। साल के चार दिन यानी 30 मार्च, 18 अप्रैल, 18 मई और 27 सितंबर को नाहरगढ़ किले में प्रवेश निःशुल्क होता है। होली के दिन किला पूरी तरह से बंद रहता है।
गलताजी मंदिर जयपुर
गलताजी मंदिर एक प्राचीन धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल है जो अरावली पहाड़ियों के बीच में स्थित एक हिंदू मंदिर के रूप में जाना जाता है। हजारों साल पहले, ऋषि गालव ने गलता जी मंदिर में 100 साल तक तपस्या की थी। उनके नाम पर इस धार्मिक स्थल का नाम गलता जी रखा गया।
गलताजी के मंदिर में कई छोटे-बड़े मंदिर और मंडप स्थापित हैं। यहाँ आप मंदिर में बहते झरने का प्राकृतिक मनोरम दृश्य देख सकते हैं। मंदिर में बहते सात पवित्र तालाब बहुत पूजनीय माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि तालाब में पानी का स्रोत पाताल से आता है। यहां स्थित गलता जी मंदिर पर्यटकों के लिए सबसे खूबसूरत धार्मिक स्थलों में गिना जाता है।
गलताजी तालाब में स्नान करना बहुत ही पवित्र माना जाता है। तालाब में स्नान करने के बाद श्रद्धालु मंदिरों में जाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर में पिछले 500 वर्षों से दिव्य ज्योति जागरण होता आ रहा है। मंदिर परिसर के कुछ हिस्से टूटे हुए हैं और कुछ हिस्से मरम्मत की स्थिति में हैं। इस मंदिर को बंदर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अरावली पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर का निर्माण दीवान कृपाराम ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जयपुर के बाज़ार में घूमने की जगहें
गुलाबी नगर के नाम से मशहूर जयपुर पर्यटकों के लिए शॉपिंग का बेहतरीन ठिकाना है। यहां आप खूबसूरत हस्तशिल्प वस्तुएं, राजस्थानी पगड़ियां, हाथ से बने आभूषण और कपड़े, जूते, साड़ियां, सलवार सूट, रंग-बिरंगी चूड़ियां, रंग-बिरंगे चीनी मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की मूर्तियां, जयपुरिया संस्कृति को दर्शाती जूते और कपड़े और कई अन्य जरूरी सामान खरीद सकते हैं।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय पर्यटकों के बीच राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित सबसे पुराने संग्रहालय के रूप में जाना जाता है। वास्तव में महाराजा राम सिंह चाहते थे कि इस संग्रहालय को टाउन हॉल बनाया जाए लेकिन महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने इसे संग्रहालय में बदलने का फैसला किया। संग्रहालय के आकर्षण का केंद्र मिस्र की ममी है जो ईसा पूर्व 322 साल पुरानी है। संग्रहालय में ममी सुरक्षित रखी गई है और ज्यादातर लोग इसे देखने जाते हैं।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भारतीय और अरबी स्थापत्य शैली में बनाया गया है। इसका डिज़ाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने बनाया था। यह संग्रहालय 1887 में आम लोगों के देखने के लिए खोला गया था। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय को सरकारी केंद्रीय संग्रहालय के नाम से भी पहचान मिली है। इस संग्रहालय के अंदर राजपूत काल की कई प्राचीन वस्तुएँ भी देखी जा सकती हैं। पुराने बर्तन, तलवारें, भाले, मूर्तियाँ, पेंटिंग, वीणा जैसे वाद्य यंत्र देखने को मिलते हैं। संग्रहालय के नजदीक ही जयपुर चिड़ियाघर बना हुआ है। आप यहाँ पक्षियों और जानवरों को देखने के लिए जा सकते हैं।
संग्रहालय में जाने के लिए टिकट
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में पर्यटकों के लिए टिकट शुल्क प्रतिव्यक्ति 50 रुपये है। छात्रों का टिकट मात्र 20 रुपये है। आप एक घंटे तक संग्रहालय का पूरा भ्रमण कर सकेंगे।
भूतेश्वरनाथ मंदिर
भूतेश्वर नाथ मंदिर जयपुर में हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक एवं पवित्र मंदिर है। यह मंदिर विधायक नगर में स्थित है। यह मंदिर नाहरगढ़ अभ्यारण्य से 5 किलोमीटर की दूरी पर अरावली पहाड़ी पर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 2100 साल पुराना है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की उत्पत्ति ज़मीन से हुई है। शिवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर में दर्शन करने और जल चढ़ाने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगती है। चूँकि मंदिर घने जंगल में स्थित है, इसलिए कोई भी पर्यटक रात में इस मंदिर में नहीं रुकता।
महारानी की छतरी
जयपुर में महारानी की छतरी एक श्मशान स्थल है। इस स्थान का निर्माण शाही महिलाओं के अंतिम संस्कार के लिए किया गया था। महारानी की छतरी राजपूत शासन के दौरान निर्मित अद्भुत वास्तुकला का एक उदाहरण है। यह संगमरमर के पत्थर से बनी है। यह जयपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
महारानी की छतरी पर्यटकों के लिए सुबह 09:30 बजे से शाम 04:30 बजे तक खुला रहता है। होली के पावन त्यौहार को छोड़कर यह सभी दिन खुला रहता है। यहाँ आने के लिए पर्यटकों से कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है। यह जगह पर्यटकों के लिए निःशुल्क है।
जयपुर शहर की जानकारी ( Jaipur city information )
- जयपुर शहर का इतिहास महान राजाओं और योद्धाओं से जुड़ा हुआ है।
- जयपुर शहर प्रकृति की गोद में अरावली पर्वत की श्रृंखलाओं से चारो ओर से घिरा हुआ है।
- जयपुर शहर को बंगाल के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य ने वास्तुशास्त्र के अनुसार डिजाइन किया था
- जयपुर शहर में बने किले (गढ़), धार्मिक स्थल एवं ऐतिहासिक इमारतें अपने भव्य सोन्दर्य और वास्तुकला के लिए पूरे विश्व में मशहूर हैं।
- 1856 में जब वेल्स के राजकुमार अल्बर्ट जयपुर में आए थे, तो इस शहर को गुलाबी रंग से सजाया गया था तभी से इस शहर को गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाता है।
- जयपुर शहर का नाम आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के नाम पर 1726-27 ई. में रखा गया था।
Jaipur mein ghumne ki jagah FAQ
जयपुर में सबसे प्रसिद्ध क्या
जयपुर शहर ‘पिंक सिटी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जयपुर में दो सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले जल महल, जंतर मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ किला, हवा महल और आमेर किला, खूबसूरत इमारतों की आकर्षक वास्तुकला के साथ राजपूतों की वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं।
जयपुर में सबसे सस्ता क्या मिलता है
गांधी नगर का कपड़ा बाजार देश के साथ-साथ एशिया का सबसे सस्ता बाजार कहा जाता है। इस मार्केट की खास बात यह है कि आप यहां से हर ब्रांड के और सबके लिए कपड़े खरीद सकते हैं।
जयपुर में सबसे अच्छी चीज क्या मिलाती है
जयपुर के जौहरी बाज़ार, त्रिपोलिया बाज़ार और बापू बाज़ार जैसे बाज़ार हस्तशिल्प, कपड़ा, आभूषण और अन्य पारंपरिक सामान की प्रचुर मात्रा प्रदान करते हैं। पर्यटक मोलभाव कर स्मृति चिन्ह और उपहार खरीद सकते हैं।
जयपुर कितने दिन में घूम सकते है
जयपुर घूमने के अपने प्लान को आप दो दिनों में बांट सकते हैं, जिसमें से एक दिन आप जयपुर शहर के सभी पर्यटन स्थलों का दौरा करेंगे और दूसरे दिन आप आमेर जाएंगे जो जयपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर दूर है, जहां आप आमेर किला, जल महल समेत कई जगहें देख सकते हैं।
जयपुर के पर्यटक स्थल
आमेर का किला, हवा महल जयपुर, जल महल, बिरला मंदिर, जयगढ़ का किला, जंतर मंतर जयपुर, सिटी पैलेस, नाहरगढ़ किला, गलताजी मंदिर (बंदर मंदिर) जयपुर, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, भूतेश्वरनाथ मंदिर महारानी की छतरी आदि मुख्य है
जयपुर की प्रसिद्ध मिठाई
गुलाब सकरी जयपुर की एक पारंपरिक मिठाई है, जो मावा का उपयोग करके बनाई जाती है।
उम्मीद Palanhar Scheme / पालनहार योजना क्या है या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, शुक्रिया
- आमेर का किला
- हवा महल जयपुर
- जल महल
- बिरला मंदिर
- जयगढ़ का किला
- जंतर मंतर जयपुर
- सिटी पैलेस
- नाहरगढ़ किला
- भानगढ़ किला
- गलताजी मंदिर (बंदर मंदिर) जयपुर
- शहर के बाज़ार घूमने की जगहें
- अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
- खाटूश्याम मंदिर
- भूतेश्वर नाथ मंदिर
- महारानी की छतरी