बात 18वी सदी के मध्य की है जब अंग्रेज भारत में खूब फल फूल रहे थे, भारत का बेशकीमती सामान इंग्लैंड ले जान हो या इंग्लैंड से पक्का माल बेचने भारत लाना हो या फिर वापस भारत से कच्चा माल इंग्लैंड ले जाना हो साथ ही उस समय एक देश से दुसरे देश की यात्रा करनी हो इन सब के लिए जल यातायात ही एकमात्र साधन था – Hawada Bridge Mystery
हावड़ा ब्रिज की सुरुवात कैसे हुई
जल यातायात की मुख्य स्तम्भ होता है बन्दरगाह और उपयुक्त कामो के लिए, कोलकाता बंदरगाह अंग्रेजों के लिए सबसे ज्यादा सुलभ बंदरगाह था लेकिन इसमें एक कमी थी, कमी यह थी की देशभर से आने वाला कच्चा माल हावड़ा तक तो आ जाता पर हावड़ा और कोलकाता के बीच में हुगली नदी उनका रास्ता रोक लेती, हावड़ा से कोलकाता सामान भेजने के लिए नाव का सहारा लिया जाता लेकिन बरसात के दिनों में हुगली नदी जब उफान पर होती तो कई दिनों के लिए काम को रोकना पड़ता साथ ही कई बार नावे डूब जाती जिससे काफी ज्यादा जनधन की हानि भी होती
हावड़ा ब्रिज की कहानी क्या है
1862 में हुगली नदी पर एक ब्रिज बनाने का फैसला लिया गया, जो कई कारणों व अध्ययन के चलते काफी ज्यादा ढीले होता गया और आखिर में 1870 को कोलकाता ट्रस्ट की स्थापना करके 1871 में हावड़ा ब्रिज अधिनियम पारित कर इस ट्रस्ट को पुल के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी दी गई, कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने वाले इस पहले फूल का निर्माण 3 साल में पूरा हुआ और आखिर में 1874 में आम यातायात के लिए चालू किया गया
पुराने हावड़ा ब्रिज की विशेषताए
पुराने Hawada Bridge जिसको 1874 में सुरु किया गया था यह उस समय की एक अद्भुद कलाकृति थी जिसकी अनेक विशेषताए थी जैसे
- पुराने हावड़ा ब्रिज की ख़ास बात जो ध्यान देने वाली है की यह एक पोंटून ब्रिज था, पोंटून ब्रिज को पीपा ब्रिज भी बोला जाता है क्योंकि यह ब्रिज लोहे के बने पीपों और लकड़ी की नावों के ऊपर बनाया जाता है इस ब्रिज का फायदा यह होता है कि नदी का जलस्तर ऊपर नीचे होता है तो यह उसके साथ ही ऊपर नीचे होता रहता है
- इस ब्रिज की एक बात और खास थी की इस को इस हिसाब से डिजाइन किया गया था की किसको बीच में से अलग किया जा सके, मतलब जरुरत पड़ने पर दो अलग अलग भागो में किया जा सके| इसकी एक वजह भी थी कि उस समय ज्यादातर व्यापार हुगली नदी के माध्यम से होता था चुकी यह ब्रिज नदी पर तैरता हुआ ब्रिज था इसलिए यह जहाजों का रास्ता रोक लेता, इसलिय इस समस्या से छुटकारा पाने के लिय जहाजों के आने पर इस ब्रिज को ही खोलकर दो भागों में बांट दिया जाता था और जहाजो को निकाल दिया जाता ।
- ब्रिज खोलने के लिए हमेशा एक समय निर्धारित किया जाता और फिर अखबार के माध्यम से लोगों को इसकी सूचना दी जाती। उस निर्धारित समय पर ब्रिज को खोलकर सभी जहाजों को एक साथ निकाल दिया जाता और फिर ब्रिज को वापस एक करके आम लोगों के लिए चालू कर दिया जाता
- इस ब्रिज की कुल 1525 फिट और चौड़ाई 62 फीट थी इस ब्रिज के दोनों और पैदल यात्रियों के लिए 7 फिट का फुटपाथ भी बनाया गया था इसको बनाने में उस समय कुल 22 लाख रुपए का खर्च आया था
यहां से आगे चलते हैं और समय आता है 1906 का उस समय की ब्रिटिश सरकार ने इस हावड़ा ब्रिज की निगरानी के लिए एक कमेटी बनाई और उस कमेटी ने बताया कि हावड़ा ब्रिज पर बैल गाड़ियों का जाम लग रहा है और यह अपनी अधिकतम क्षमता को भी पार कर रहा है तो अब कोलकाता को एक और नए ब्रिज की जरूरत है
न्यू हावड़ा ब्रिज की क्या कहानी है
उपरोक्त रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, 1911 में हावड़ा में एक नया ब्रिज मतलब वर्तमान ब्रिज बनने की बात शुरू हुई लेकिन यह बात आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि इसी साल अंग्रेजों ने अपनी राजधानी को दिल्ली शिफ्ट कर लिया इसलिए पुल की मरम्मत की गई और इसे ही अगले कुछ वर्षों तक चालू रखा गया लेकिन अब यह ओर ज्यादा चलने वाला नहीं था
लिहाजा कुछ वर्षों बाद फिर से नया पुल बनाने की चर्चा सुरु हुई और बंगाल के प्रसिद्ध बिजनेसमैन राजेंद्र नाथ मुखर्जी की अध्यक्षता में सन 1921 में एक कमेटी का गठन किया गया, इस कमेटी ने न्यू हावड़ा ब्रिज कमीशन को अपनी रिपोर्ट सौंपी, रिपोर्ट के आधार पर 1926 में न्यू हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया गया और ब्रिज बनाने के लिए टेंडर निकाला, तो ब्रिज बनाने के लिए सबसे कम बोली एक जर्मन कंपनी ने लगाई तो पेज फिर से फस गया, क्योंकि उस समय जर्मनी और ब्रिटेन के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे थे और इन्हीं रिश्तो की भेंट चढ़ गया यह न्यू Hawada Bridge
1935 में सरकार ने इस टेंडर को वापस कैंसिल कर दिया और एक दूसरा हावड़ा ब्रिज अमेंडमेंट एक्ट 1935 पारित किया और एक दूसरी कंपनी को इसका टेंडर दे दिया अब इस कंपनी ने 1936 में इस ब्रिज का निर्माण शुरू किया जो की 1942 को पूरा हुआ और 3 फरवरी 1943 को इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया
हावड़ा ब्रिज की विशेषताए
न्यू हावड़ा ब्रिज जो उस समय मतलब 1943 में बना यह अपनी तरह का दुनिया का तीसरा ब्रिज था जिसकी मुख्य विशेषताए निम्न है
- न्यू Hawada Bridge मतलब वर्तमान ब्रिज की खास बात यह है की 1500 फीट लंबा और 76 फिट चौड़ा है जिसके दोनों और पैदल यात्रियों के लिए फुटपात भी बनाया गया है
- यह ब्रिज हुगली नदी के दोनों और दो बड़े स्तंभों पर टिका हुआ है इन दोनों स्तनों के अलावा नदी में कहीं भी ऐसा कोई आधार नहीं दिया गया है जो इस पुल को सहारा दे सके।
- इस की ख़ास बात की कि इसे बनाने में नट बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है बल्कि धातु की किलों यानि रेवट्स का यूज किया गया है
- इस ब्रिज को बनाने के लिए 26000 टन स्टील की जरूरत थी लेकिन 1939 में सेकंड वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ तो ब्रिटेन से स्टील का आयात बंद हो गया इसलिए 23000 टन स्टील टाटा स्टील द्वारा दी गई थी
- न्यू Hawada Bridge उस समय बना दुनिया का तीसरा सबसे लंबा कैंटी लीवर पुल था जिसे बनाने में उस वक्त ढाई करोड रुपए का खर्च आया था
- यह ब्रिज 1943 से आज तक चलता आ रहा है और वर्तमान में इस पुल से हर दिन एक लाख से ज्यादा वाहन और 5 लाख लोग सफर करते हैं
हावड़ा ब्रिज को क्या खतरा है
कुछ वर्षों पहले Hawada Bridge का इंस्फेक्शन किया गया था जिसमें जो बात सामने आई वो चौंकाने वाली थी की ब्रिज के पायो की मोटाई आधी हो चुकी है और पूल में लगे हैंगर की मोटाई 6 मिलीमीटर से से घटकर 3 मिलीमीटर आ गई है वजह — पता चला की पान मशालो की पिक से धातु में जंग लग गई थी यानी लोगों ने पान की पिक से इस पुल को जो रंगीला किया था उसी पिक से यह अब कमजोर होने लगा है
आज जब कोई ब्रिज बनता है तो हालत ये होते है की एक साईड से बना रहा होता है दूसरी साईड से गिर रहा होता है तो बिच में रिपेरिंग चल रही होती है लेकिन आज से 70 साल पहले अंग्रेजो ने जो ब्रिज बनाया वो आज भी अनगिनत भार के साथ साथ अनेक आपदाओ को झेलकर भी सुरक्षित खड़ा है उसे हम ही थुक थुक कर कमजोर कर रहे है
हावड़ा ब्रिज 12 बजे बंद क्यों किया जाता
हावड़ा ब्रिज को 12:00 बजे आम यातायात के लिए बंद किया जाता है जिसको लेकर कई अन्य एकमत है जिनमें से एक मत यह भी है कि हावड़ा ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियरों ने बताया था कि यह ब्रिज जब कभी भी गिरेगा तो वह समय 12:00 का होगा लेकिन उनकी इस भविष्यवाणी में थोड़ी सी उलझन रह गई थी क्या कि उन लोगों ने यह नहीं बताया था कि यह ब्रिज रात की 12:00 गिरेगा या दिन की 12:00 बजे इसलिए हावड़ा ब्रिज को दोनों समय 12:00 बजे बंद कर दिया जाता है
इसका एक मत यह भी है कि जब पुराना Hawada Bridge था तो हुगली नदी से चलने वाली जहाजों को रास्ता देने के लिए हावड़ा ब्रिज को बंद करके जहाजों को निकाला जाता था और न्यू हावड़ा ब्रिज पर भी अब उसी समय बंद करके उस धारणा को जारी रखा जा रहा है
हावड़ा ब्रिज क्यों प्रसिद्ध है
Hawada Bridge एक ऐसा ब्रिज है जो बंगाल की खाड़ी में उठने वाले तूफानो को झेलते हुए प्रितिदिन एक लाख वाहनों और डेढ़ लाख से ज्यादा पेदल यात्रियों का भार वहन कर रहा है Hawada Bridge अपने निर्माण के समय तीसरा सबसे लंबा कंटीलीवर पुल था, हावड़ा ब्रीज आज दुनिया में अपनी तरह का छठा सबसे बड़ा पुल है यह इतना लंबा पुल बिना किसी पिलर और नट बोल्ट के अंग्रेजो के समय से आज तक हिला तक नही है यह ख़ासियत आज भी इसे खास बनाती है
Hawada Bridge Mystery FAQ
Hawada Bridge kab Bana tha
वर्तमान Hawada Bridge का निर्माण 1936 में शुरू हुआ था जो कि 1942 में पूरा हुआ इस ब्रिज को औपचारिक रूप से आम यातायात के लिए 3 फरवरी 1946 को शुरू किया गया था
Hawada Bridge Kisane Banaya tha
हावड़ा ब्रिज ब्रेथवेट बर्न एंड जोसेफ कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा बनाया गया था, इसका टेंडर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा हावड़ा ब्रिज अमेंडमेंट एक्ट 1935 पारित करके दिया गया था. इस कंपनी द्वारा निर्माण 1936 में शुरू किया गया जो कि 1946 में जाकर आम यातायात के लिए शुरू हुआ
What is the mystery of Howrah Bridge
हावड़ा ब्रिज इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है यह बिना किसी पिलर के कैसे खड़ा है साथ ही बिना किसी नट बोल्ट का यूज़ किए इसे कैसे बनाया गया है यह एक रहस्य ही है
Hawada Bridge kyo Famous hai
हावड़ा ब्रिज एक अद्भुत इंजीनियरिंग उपलब्धि जो भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, यह एक खूबसूरत पुल और एक लोकप्रिय पर्यटन भी स्थल है. साथ ही यह मात्येर नहीं के किनारे बने दो विशाल स्तंभों पर टिका हुआ, इनके अवाला नहीं में किसी तरह का कोई पिलर नहीं बनाया गया है तो इसको बनाने में नट बोल्ट का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है ये सभी कारण हैं जो हावड़ा ब्रिज प्रसिद्ध बनाते है.
कोलकाता हावड़ा ब्रिज की लम्बाई
न्यू हावड़ा ब्रिज मतलब वर्तमान ब्रिज की लम्बाई 1500 फीट है यह ब्रिज 76 फिट चौड़ा है जिसके दोनों और पैदल यात्रियों के लिए फुटपात भी बनाया गया है
हावड़ा ब्रिज कोनसी नदी पर बना है
हावड़ा ब्रिज हुगली पर बना हुआ है यह ब्रिज हुगली नदी के दोनों और दो बड़े स्तंभों पर टिका हुआ है इन दोनों स्तनों के अलावा नदी में कहीं भी ऐसा कोई आधार नहीं दिया गया है जो इस पुल को सहारा दे सके।
हावड़ा ब्रिज की सच्चाई क्या है
हावड़ा ब्रिज को लेकर लोगो के बिच कई प्रकार की भ्रांतिया है लोगो का कहना है की अंग्रेजो के पास इस हावड़ा ब्रिज की चाबी थी जिससे इस हावड़ा ब्रिज खोला और बंद किया जा सकता था तो कुछ लोगो का मानना है की इस ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियर ने भविष्यवाणी की थी की यह ब्रिज जब भी गिरेगा 12 बजे गिरेगा — हालाँकि यह सब अफवाह और लोगों के झूठी कल्पनाए ही है
न्यू हावड़ा ब्रिज की कैसे बना
1911 में हावड़ा में एक नया ब्रिज मतलब वर्तमान ब्रिज बनने की बात शुरू हुई लेकिन यह बात आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि इसी साल अंग्रेजों ने अपनी राजधानी को दिल्ली शिफ्ट कर लिया इसलिए पुल की मरम्मत की गई और इसे ही अगले कुछ वर्षों तक चालू रखा गया लेकिन अब यह ओर ज्यादा चलने वाला नहीं था, लिहाजा कुछ वर्षों बाद फिर से नया पुल बनाने की चर्चा सुरु हुई और बंगाल के प्रसिद्ध बिजनेसमैन राजेंद्र नाथ मुखर्जी की अध्यक्षता में सन 1921 में एक कमेटी का गठन किया गया, इस कमेटी ने न्यू हावड़ा ब्रिज कमीशन को अपनी रिपोर्ट सौंपी, रिपोर्ट के आधार पर 1926 में न्यू हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया गया और ब्रिज बनाने के लिए टेंडर निकाला
उम्मीद Hawada Bridge Mystery क्या है या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, शुक्रिया
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