कम बोलना कैसे सीखे / क्या पत्नी ज्यादा बोलती है How to learn to speak less

learn to speak less एक पति अपनी पत्नी से काफी ज्यादा परेशान था परेशानी यह थी की पत्नी बहुत ज्यादा बोलती हर वक्त इधर-उधर की बातें करती रहती कभी शांत नहीं बैठती
एक दिन गांव में एक महात्मा आए, जो हर बीमारी का इलाज बता रहे थे पति ने सोचा महात्मा की परीक्षा लेते हैं या तो पत्नी का इलाज हो जाएगा या महात्मा जी का पता चल जाएगा कि कितने पानी में है
वह अपनी पत्नी को उनके पास लेकर जाता है और कहता है कि मुनिवर कृपा करके आप इसे समझाइए यह बहुत बोलती है मेरे मना करने के बाद भी इसकी जुबान दिन भर चलती ही रहती है

महात्मा मुस्कुराए और बोले मैं तुम्हें एक कहानी की मदद से समझाता हूं
मेरे गुरु का एक शिष्य था जो बहुत बोलता था कभी शांत नहीं रहता था जब वह दान लेने के लिए जाता तो हर घर से एक नई कहानी लेकर आता और आश्रम के दूसरे शिष्यों को सुनाता, बोलने की लत इतनी बुरी थी आश्रम के सभी दूसरे शिष्य काफ़ी परेशान रहते
हर वक्त खुद के मुंह से खुद की तारीफ करता और हमेशा खुद को गुरु के सामने सबसे बुद्धिमान और उत्तम साबित करने का प्रयास करता
एक दिन गुरु ने आश्रम के सभी शिष्यों को बुलाकर कहा आप सभी को अगले एक महीने के लिए कोई ना कोई संकल्प लेना होगा इससे आपकी संकल्प शक्ति मजबूत होगी और आप में आत्मशक्ति का संचार होगा, आप सभी अपने सामर्थ्य के अनुसार कोई भी संकल्प ले सकते हैं और यदि एक महीने से पूर्व आप में से जीस किसी का भी संकल्प टूट जाएगा तो वह अपनी पुरानी दिनचर्या में वापस आ सकता है
सभी शिष्यों ने अपनी शक्ति के अनुसार संकल्प लिए और गुरु को अपने-अपने संकल्प के बारे में बताकर वहां से चले गए
लेकिन वह शिष्य जो खुद को सबसे अलग दिखाना चाहता था वह सीधे गुरु की कुटिया में पहुंच गया और बोला, गुरुवर मैं कोई छोटा मोटा संकल्प नहीं लेना चाहता बल्कि एक महान संकल्प लेना चाहता हूं जो सबसे अलग और बड़ा हो, कृपया आप ही बताएं मुझे क्या संकल्प लेना चाहिए
उसकी यह बात सुनकर गुरु मुस्कुराए बोले, मेरे द्वारा दिए गए संकल्प को आप पूरा नहीं कर पाओगे इसीलिए तुम खुद ही कोई संकल्प ढूंढो
लेकिन वो शिष्य जिद्दी करने लगता है अब गुरु कहता है ठीक है फिर तुम्हारे लिए संकल्प यह है कि तुम्हें अगले एक महीने तक चुप रहना है
शिष्य कहता है गुरुवर यह क्या, यह तो बहुत आसान है मुझे कोई मुश्किल संकल्प दो, गुरु ने कहा फिलहाल यही काफी है आप इसको पहले पूरा करके दिखाओ
शिष्य ने गुरु की बात मान ली और वह उसी समय चुप हो गया और पलटकर कुटिया से बाहर चला गया उसे चुप रहना बहुत आसान लग रहा था उसने एक दिन तो जैसे तैसे चुप रहकर काट लिया लेकिन दूसरे दिन से उसके मन में ना बोलने का बोझ बढ़ने लगा और तीसरे दिन उसे भारीपन महसूस होने लगा
अब वह शिष्य न बोलने की बेचैनी के कारण बीमार पड़ गया उसका सिर फटा जा रहा था उसका खाने पीने तक का मन नहीं था वह सिर्फ बोलना चाहता था
वह गुरु के पास गया और उनके सामने बैठकर लिखकर उन्हें बताया गुरुदेव मैं बोलना चाहता हूं बिना बोले मुझे सांस नहीं आ रही है मेरा दम घुटता जा रहा है
गुरु ने कहा तो ठीक है आप अपना संकल्प तोड़ सकते हो पर याद रखो जो व्यक्ति अपना संकल्प पूरा कर लेता है वह अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है और जो अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ा लेता है वह समाज और जागृति की राह पर आगे बढ़ जाता है
संकल्प का लेना भी तुम्हारे हाथ में था और इसे तोड़ना भी तुम्हारे हाथ में है
गुरु की यह बात उस शिष्य के दिल में चोट कर गइ, वह बिना कुछ बोले वहां से वापस चला गया और खुद को अपनी कुटिया में बंद कर लिया अब वह केवल अपने जरूरी कामों के लिए ही इस कुटिया से बाहर निकलता बाकी सारे समय कुटिया के अंदर ही बैठा रहा
15 दिन बीत चुके थे और आश्रम के लगभग सभी शिष्यों का संकल्प अब तक टूट चुका था लेकिन उसका संकल्प अभी भी जारी था
संकल्प लेने के बाद से अब तक उसने एक शब्द भी नहीं बोला, सारा आश्रम हैरान था कि इतना बोलने वाला इंसान चुप कैसे हो सकता है
15 दिन बीतने के बाद वह दोबारा अपने गुरु के पास गया और लिखकर बताया है गुरुदेव मैं बाहर से तो चुप हूं लेकिन मेरे भीतर बहुत सी आवाजें हैं मन तो बोलता ही जा रहा है उसका क्या करू
गुरु ने कहा तुम तो चुप हो लेकिन जब तक लोगों की आवाजें तुम्हारे कानों में उतरती रहेगी तुम्हारा मन बोलता रहेगा क्योंकि इसे तो आदत है तुम भले ही बाहर से चुप रहो
तुम्हें इन बातों और इन आवाजों से दूर जाना चाहिए शिष्य गुरु को प्रणाम कर जंगल की तरफ चला जाता है कई दिन बीत जाते है संकल्प का समय भी पूरा हो जाता है लेकिन शिष्य लौटकर नहीं आया
आश्रम में सभी को डर था कि कहीं जंगली जानवर उसे खाना ना जाए, इसलिए उसे ढूंढने की भी कोशिश की गई लेकिन वह कहीं नहीं मिला
एक दिन एक शिष्य गुरु के पास गया और बोला गुरुदेव हमारे उस अधिक बोलने वाले भाई के साथ क्या हुआ होगा क्या जानवरो ने उसे मार दिया
गुरु ने कहा, हो सकता है कि जानवरों ने उसे अपना शिकार बना लिया हो लेकिन उसके ना लौटने की एक दूसरी वजह भी हो सकती है शायद उसे वह मिल गया है जिसके लिए वह गया था
समय बीतता गया और सभी लोगों ने उसके आने की उम्मीद छोड़ दी थी, तभी अचानक एक दिन वह शिष्य अपने आश्रम में वापस लौट आता है
लेकिन अब वह, वह नहीं था जो यहां से गया था वह कुछ और ही बनकर वापस आया था उसके अंदर एक गजब का बदलाव था उसके चेहरे पर ठहराव और आंखों में बड़ी शांति थी आश्रम में आते ही सभी गुरु भाइयों ने उसे चारों तरफ से घेर लिया और बातें करने लग गए
वह भी अपने भाइयों से बातें करने लगा उससे बात करने वाले सभी ने यह अनुभव किया कि अब वह पहले जैसा उतावला और बातूनी था उसके मुंह से एक एक शब्द बहुत ही सुलझे हुए और मधुरता के साथ निकल रहे थे थोड़ी देर तक गुरु भाइयों से बात करने के बाद वह सीधा गुरु की तरफ चला गया
उसने गुरु के चरण छुए और कहा गुरुदेव क्या मैं अब भी मौन हूं क्या अब भी मेरा संकल्प जारी है
गुरु ने कुछ देर तक शिष्य की आंखों में बड़े ध्यान से देखा और कहा हां तुम अब भी मौन हो तुम्हारे मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा और तुम्हारा संकल्प अभी भी जारी है
शिष्य ने कहा गुरुदेव जब मैं आश्रम से गया तो मैं मुंह से तो चुप था लेकिन मेरे अंदर बहुत सी आवाजें थी मन में बहुत से प्रश्न थे और वह बंद नहीं हो रहे थे तो मैं जंगल में चला गया इस उम्मीद से कि वहां मुझे शांति मिलेगी और मेरे मन की बकबक कम हो जाएगी
लेकिन मैं जितना एकांत में जाता गया मेरे अंदर की आवाज उतनी ही तेज होती गई मेरे भीतर की पुरानी से पुरानी आवाज मुझे सुनाई देने लगी तब जाकर मैंने महसूस किया कि मैं कितना गलत कर रहा था
जब मैं अपने परिवार वालों, दोस्तों को और गुरु भाइयों को बुरा भला कहता था तो उस समय मुझे लगता था कि मैं सही कह रहा हूं जब मैं किसी से एक दूसरे की चुगली करता था और उनका मजाक बनाता तब भी मुझे यही लगता था कि मैं उनसे बेहतर हूं और मैं सही कर रहा हूं
लेकिन जंगल में जाकर मैंने पहली बार महसूस किया कि मैं कितना गलत बोलता था काफी दिनों तक यह आवाजें यह शिकायतें मेरे अंदर चलती रही लेकिन धीरे-धीरे करके एक दिन यह सारी आवाजें मेरे अंदर से समाप्त हो गई
अब मैं भीतर से भी मौन हो गया उस घने जंगल में बाहर से कोई बोलने वाला था नहीं और भीतर कोई आवाज बची ही नहीं थी और मैं उस दिन पहली बार मौन का सही अर्थ समझा

वास्तव में मौन दुनिया की सबसे बड़ी सक्ती है जो काम बकबक करके या प्रवचन दे के नहीं किए जा सकते वो मौन रहकर किए जा सकते है

गुरु ने कहा जब तक हम बाहर की तरफ यानि मुँह से बोलते रहेंगे, मन के भीतर अशांति रहेगी लेकिन जिस दिन हम भीतर की तरफ मुड़ जाएंगे तब हमारे मुंह से कुछ भी नहीं निकलेगा, हम शांत ही रहेंगे
दुनिया में जितनी भी बुराइयां हैं ज्यादातर हमारे बोलने से ही उत्पन्न होती है क्योंकि हम चुप रहना नहीं चाहते हम जितनी जरूरत है उससे कहीं ज्यादा बोलते हैं
हम सामने वाले को सुनना नहीं चाहते बल्कि उसकी बोलती बंद कर देना चाहते हैं
उसे समझा देना चाहते हैं कि मैं कौन हूं मैं क्या कर सकता हूं और यही हमारी जिंदगी का मकसद बनकर रह जाता है हमारी ऊर्जा व्यर्थ बोलनें में बर्बाद होती रहती है और समाज में लोगों का जीवन दुखों से भर जाता है
स्थिति ये है की सब हमेशा एक दूसरे को सुनाने में लगे रहते हैं कोई भी एक दूसरे को सुनना नहीं चाहते, समझना नहीं चाहते और चुप रहना तो उन्होंने कभी सीखा ही नहीं, क्योंकि चुप रहना सब को छोटा महसूस करवाता है, यही आदत घर में कलह और समाज में लड़ाई को जन्म देती है इसलिए हमें सिर्फ उतना ही बोलना चाहिए जितना जरूरी हो
व्यर्थ बोलने से व्यर्थ में ऊर्जा नष्ट हो जाती है और यह बोलना ही हमें कभी अपने भीतर की तरफ लौटने नहीं देता क्योंकि यह हमें बाहर की ओर खींच कर रखता है
लेकिन सोचो बाहर है ही क्या… जो व्यक्ति बाहर की दुनिया की बजाय अपने भीतर की दुनिया की ओर मुड़ जाता है या अपना मुंह को बंद रखना सिख जाता है
उसके घर में शांति रहती है और ऐसा समाज बहुत ज्यादा प्रगति करता है
दुनिया में जिस किसी ने भी बड़े काम किए हैं वह सभी एकांत की ओर भागे ताकि उन्हें ज्यादा ना बोलना पड़े ज्यादा सुनना ना पड़े, वह एकांत में रहे और शांत रहे इसीलिए आसानी से असंभव को संभव कर पाए
लेकिन अगर कोई चाहे तो इस संसार में रहकर यानि अपने घर / समाज में रहते हुए भी एकांत में रह सकता है शांत रह सकता है लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी ऊर्जा बचानी होगी, जिसे वह अब तक अपने व्यर्थ के शब्दों में बर्बाद कर रहे थे

वास्तव में मौन दुनिया ही सबसे बड़ी सक्ती है जो काम बकबक करके या प्रवचन दे के नहीं किए जा सकते वो मौन रहकर किए जा सकते है मोन आप परिवार में शांति और समाज में प्रगति के महारथी बन सकते हो, फैसला आप के हाथ में है
यह कहानी आपको कैसी लगी और आगे आप किस विषय पर कहानी चाहते हैं कमेंट करके बताइए और हां इस कहानी को शेयर करना तो बिल्कुल भी ना भूले मिलते अगले आर्टिकल में तब तक राम-राम

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