ये सच है कि एक वक्त था तब सूतीवस्त्र में भारतीयों का डंका सारी दुनिया में बजता थाये सच है कि पश्चिमी देशों को सबसे पहले सूती वस्त्र भारतीयों ने पहनाए थेये भी सच है कि किसी जमाने में भारतीय सूतीवस्त्र कारीगरों की पूरी दुनिया दीवानी थीतो फिर क्या हुआ ऐसा की एकाएक भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग पूरा का पूरा बर्बाद हो गया… क्या लगा था भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को ग्रहण या फिर हुई थी इंटरनेशनल स्तर पर एक बड़ी साजिश तो आइए शुरू से शुरू करते हैं Cotton Textile Industry Ruined भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग एक पर्शियन राजदूत जब भारत से अपने देश वापस गया तो अपने राजा को नारियल भेंट किया, तो दरबारीयो को काफी अचरज हुआ कि राजदूत ने सुल्तान को सिर्फ नारियल भेंट किया है लेकिन उनका यह अचरज तब आश्चर्य में बदल गया जब नारियल को खोला गया. उस नारियल से 210 मीटर लम्बा मलमल का कपड़ा निकला… यह तो सिर्फ एक नमूना मात्र है भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग का इतिहास और इसकी विशेषताएं इससे भी और कहीं ज्यादा थी, कहा जाता है कपास की खेती सबसे पहले भारत में ही की गई थी, कपास से धागा बनाया गया और धागे से कपड़ा बनाने के लिए लकड़ी की तकली बनाई गई धीरे धीरे कपड़ा बनाने की इस प्रक्रिया ने एक बड़े उधोग का स्वरूप धारण किया और भारत बना सूतीवस्त्र का शिरमोर, कपड़ों पर रंग लगाना और इन्हें वैज्ञानिक पद्धति से बनाना यह सब भारत में आज से हजारों वर्ष पहले होने लगा था उसे जमाने के भारत में सूती वस्त्र बनाने वाले कारीगरों को बुनकर कहा जाता था, यह बात तब की है जब भारत सूती वस्त्रो का घर था तब वस्त्र बनाने की कला ऐसी थी कि, आज की उन्नत मशीनों पर बनाए गए कपड़ों से भी उसे जमाने के कपड़े अच्छे थे कई इतिहासकारों ने लिखा है कि… सूतीवस्त्र उद्योग को किसने बर्बाद किया मतलब… मतलब यह की भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग की गुणवत्ता का कोई जवाब नहीं था, दुनिया में ऐसे कहीं ओर बुनकर भी नहीं थे, साथ ही दुनिया भर में इन कपड़ों की डिमांड भी थी तो भारत में कच्चा माल यानी कपास भी खूब मात्रा में था, फिर ऐसा क्या हुआ कि भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग धीरे-धीरे विलुप्त हो गया भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग विलुप्त क्यों हुआ, इसको जानने के लिए चलना पड़ेगा 18वीं शताब्दी के मध्य में, 1757 के आसपास वह समय था जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर शासन शुरू हो चुका था, हालांकि भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग अंग्रेजों को तभी से खटक रहा था जब वह पहली बार भारत में व्यापार करने के लिए आए थे, लेकिन उस समय वे कुछ ज्यादा कर नहीं सकते थे इसलिए उनका उद्देश्य था व्यापार करके खूब पैसा कमाना और ऐसा किया भी 1810 के आसपास यह वह समय था जब भारत से विदेश में होने वाले निर्यात में 30% से भी ज्यादा हिस्सेदारी सिर्फ सूतीवस्त्र की ही होती थी, लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे भारत पर अंग्रेजों की पकड़ तेज होती गई वैसे-वैसे अंग्रेज सूती वस्त्र को कमजोर करते चले गए 1850 आते आते सूतीवस्त्र उद्योग की स्थिति यह हो गई की जो निर्यात कभी 30% से ज्यादा हुआ करता था वह अब मात्र 3 % रह गया…. इन आकंड़ो से अनुमान लगाया जा सकता है की मात्रा 40 वर्ष में ही किस तरह भारतीय सूती वस्त्र उद्योग की कमर तोड़ी गई अंग्रेजों ने भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग को तय करके ख़त्म किया था, और इसके लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाए गए जैसे Cotton Textile Industry Ruined conclusion धीरे-धीरे स्थिति यह हुई कि भारत में उत्पादन होने वाले कपास को, इंग्लैंड भेजे जाने लगा और इंग्लैंड में कपड़ा बनाकर फिर उन कपड़ों को वापस भारत में निर्यात करने लगे. एक समय आया तब इंग्लैंड ने भारतीय बाजार के साथ-साथ उन सभी बाजारों पर अपना कब्जा कर लिया जहां कभी भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग का दबदबा था और इस प्रकार जो चाल अंग्रेजों ने भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को तबाह करने के लिए चली थी उसमें वह सफल रहे… और एक समय दुनिया भर में अपना लोहा मनाने वाले भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग को खत्म कर दिया 👉 रहस्यमयी गांव जो एक रात में गायब हो गया 👉 हावड़ा ब्रिज का अनदेखा रहस्य भारतीय सूतीवस्त्र उद्योग / Cotton Textile Industry Ruined या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, शुक्रिया
विनेश फोगाट संघर्ष से 100 ग्राम तक / Vinesh Phogat Medal List
भारत की सड़कों पर न्याय के लिए लड़ती रही, पर न्याय नहीं मिलावह 9 साल की थी, तब उनके पिता की हत्या हो गई गुस्सा आया तो, उसने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दियाजब ओलंपिक में जाने की बारी आई तो, उसे रोकने के लिए साजिसे रची गई,Vinesh Phogat Medal List इतना ही नहीं WFI ने उन्हें खोटा सिक्का और लंगडा घोडा तक कह डालाट्रेन में उसे प्यार हुआ, तो शादी में 7 नहीं 8 फेरे लिए ये कहानी है देश ही दुनिया की बहुचर्चित और लोगों की पलकों का सितारा बनी भारत की बेटी रेसलर विनेश फोगाट की तो करेंगे बात संघर्ष से 100 ग्राम वजन तक.. किस किस को पछाड़ा किस किस को पटकाऔर कब-कब कितने मेडल जीते तो आइए शुरू से शुरू करते है विनेश फोगाट की कहानी 25 अगस्त 1994, हरियाणा के चरखी दादरी के बलाली गाव के किसान परिवार में एक बेटी का जन्म होता है नाम रखा गया विनेश फोगाट, विनेश धीरे धीरे बड़ी होती है और महज 9 वर्ष की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया, उनके पिता राजपाल फोगाट की हत्या हो जाती है, ग्रामीण जीवन दुखों का पहाड़, तो लालन पालन की, जिमेदारी आई माता प्रेमलता के नाम हरियाणा जहा पहलवानी और कुश्ती हर गाव, गली, गुवाड़ो में खेली जाती है इसलिए रेसलर बनना विनेश के लिए कोई नया काम या नाम नहीं था पर… एक बात जो नई भी थी तो समाज के गले उतरने वाली भी नहीं थी… क्या थी, महिलओं का कुश्ती खेलना ये वो दोर था जब पहलवानी में सिर्फ पुरुषों का ही एकाधिकार था, महिलओं का घर में रहना और घूँघट में जीना, बस यही दिनचर्या थी…इसलिए फोगाट परिवार को कई समस्याओ व सामाजिक विरोधो का सामना करना पड़ा, विनेश फोगाट के दादाजी मानसिंह पहलवान थे तो चाचा महावीर फोगाट भी एक पहलवान और कुश्ती के जाने माने कोच थे, मतलब… विनेश को कुश्ती विरासत में मिली थी पर जरूरत थी सामाजिक बंधनों से पार पाने की कुश्ती के प्रति परिवार के प्यार और चाचा महावीर फोगाट के मजबूत समर्थन ने उन्हें चुनौतियों से उबरने और कुश्ती के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने में मदद मिली समय बिताता गया और विनेश की कुश्ती निखरती गई… विनेश फोगाट मैडल लिस्ट विनेश फोगाट गोल्ड मैडल 👉 रहस्यमयी गांव जो एक रात में गायब हो गया 👉 हावड़ा ब्रिज का अनदेखा रहस्य विनेश फोगाट / Vinesh Phogat Medal List या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, शुक्रिया Vinesh Phogat Medal List FAQ
उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थल / Uttarakhand Main Ghumane Ki Jagah
उत्तराखंड भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के साथ एक धार्मिक स्थल भी है. यह हिमालय की गोद में बसा हुआ एक बहुत ही खुबसुरत राज्य है Uttarakhand Main Ghumane Ki Jagah में जो भी स्थान हैं सभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते हैं… उत्तराखंड पर्यटक स्थल उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री जैसे प्रमुख हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थस्थल भी मोजूद है उत्तराखंड में घुमने लायक जगह उत्तराखंड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड में घूमने लायक कई अद्भुत जगह हैं जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए मशहूर हैं. तो आइए उत्तराखंड पर्यटक स्थल के बारे में जानते है….. नैनीताल नैनीताल उत्तराखंड की एक बहुत ही खुबसुरत जगह है. यह एक प्रमुख हिल स्टेशन भी है. इसे नदियों का शहर भी कहा जाता है क्युकि यह शहर नैनी झील के चारों ओर बसा हुआ है, इसी झील के कारण इस जगह का नाम नैनीताल रखा गया है. यह उत्तराखंड पर्यटक स्थल की सुची में मुख्य स्थान रखता है नैनिताल समुद्र के तल से लगभग 2,084 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण और ठंडी जलवायु पर्यटकों को आकर्षित करती है. नैनीताल का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत, विस्मयकारी एवं मनमोहक है. मसूरी मसूरी पर्यटन स्थल अपनी विशिष्टताओं के कारण दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसे क्वीन ऑफ द हिल्स के नाम से भी जाना जाता है. यह उत्तराखंड का एक प्रमुख हिल स्टेशन होने के साथ पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. यह शहर देहरादून से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मसूरी समुद्र तल से करीब 2,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मसूरी गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों का प्रवेश द्वार भी है. मसूरी के प्रमुख आकर्षणों में केम्पटी फॉल्स सबसे प्रसिद्ध है, जहां का झरना चारों तरफ से हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है. मसूरी की ठंडी हवा, घुमावदार सड़कें और प्राकृतिक सुंदरता आपको एक अनोखा अनुभव देती है. हरिद्वार उत्तराखंड पर्यटक स्थल स्थल की बात करे तो हरिद्वार बिना अधुरा अधुरा ही रहेगा, हरिद्वार उत्तराखंड का एक पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ एक धार्मिक स्थल भी है. हरिद्वार भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक है. यह हिन्दू धर्म का एक पवित्र स्थलं माना जाता है. हरिद्वार शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और यह शहर चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी है, इसलिए इसे गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है. हरिद्वार शहर अपने आश्रमों, मंदिरों और अभयारण्यों के कारण पर्यटकों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है. हरिद्वार में कई प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिनमे मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर और माया देवी मंदिर प्रमुख है. हरिद्वार में हर 12 साल में एक कुंभ मैला आयोजित होता है. ऋषिकेश ऋषिकेश भी एक धार्मिक एवं पवित्र स्थल है. यह शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. यह हिमालय की तलहटी में स्थित कई प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ऋषिकेश की खासियत इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है इससे यह देश-विदेश के श्रद्धालुओं और योग प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है. यह शहर अपने साहसिक खेलों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. इसे भारत की साहसिक खेलों की राजधानी होने का खिताब प्राप्त है. ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर और भारत मंदिर जैसे पवित्र स्थान भी मौजूद हैं. यहां आप व्हाइटवॉटर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, माउंटेन बाइकिंग, ट्रैकिंग और कैंपिंग जैसी साहसिक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं. बद्रीनाथ उत्तराखंड पर्यटक स्थल की सुची में बद्रीनाथ का नाम भी उच्च वरीयता रखता है बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्राचीन पवित्र शहर है. यह भारत-तिब्बत सीमा के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. यह शहर समुद्र तल से लगभग 3,300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. बद्रीनाथ मंदिर को भगवान विष्णु का धाम माना जाता है. बद्रीनाथ मंदिर के धार्मिक महत्व के कारण कई पर्यटक यहां आते है. यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार बद्रीनारायण को समर्पित है. बद्रीनाथ के आस-पास कई पवित्र स्थल और धार्मिक स्थान भी मौजूद हैं. यह मंदिर चार धाम यात्रा के अंतर्गत उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है. बद्रीनाथ की यात्रा का सामान्य समय मई से अक्टूबर तक है, क्योंकि सर्दियों में यह स्थान बर्फ से ढका रहता है और मंदिर के द्वार बंद रहते हैं. केदारनाथ केदारनाथ उत्तराखंड का एक पवित्र स्थान है. यह हिन्दू धर्म का प्रमुख मंदिर है. यह मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर मौजूद है. यह मंदिर समुद्र तट से 3,583 मीटर ऊचाई पर स्थित है. इस स्थान को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है. यह मंदिर उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी बैल की एक विशाल प्रतिमा है, जिसे भगवान शिव का वाहन कहा जाता है. केदारनाथ यात्रा चुनौतीपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह स्थान पहाड़ों के मध्य स्थित है. केदारनाथ में मौसम बेहद ठंडा रहता है और मंदिर के द्वार केवल अप्रैल से नवंबर तक ही खुले रहते हैं. यहां के प्राकृतिक और धार्मिक वातावरण में व्यक्ति को गहन आध्यात्मिकता का अनुभव होता है. अल्मोड़ा अल्मोड़ा उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थाल है. यह उत्तराखंड का प्रमुख हिल स्टेशन भी है. यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और धार्मिक विरासत के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यह शहर कुमाऊँ पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है. यह शहर समुद्र तल से लगभग 1,651 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. यह स्थान हरे-भरे जंगलों और बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों से घिरा हुआ है. अल्मोड़ा में बिनसर वन्यजीव अभयारण्य भी मौजूद है, जो वन्यजीवन और पक्षी प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय है. इस स्थान की विशिष्टता इसे उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है. Uttarakhand Main Ghumane Ki Jagah FAQ Uttarakhand Main Ghumane Ki Jagah / उत्तराखंड पर्यटक स्थल से समबंधित सभी प्रकार की जानकारी को यहाँ इस आर्टिकल में कवर किया गया है फिर भी कई एसे सवाल जो अक्सर लोगो द्वारा किए जाते है तो आइए इन्हें भी जान
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अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा | Anpadh jaat Padha Barabar
Anpadh jaat Padha Barabar अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा … यह कहावत आपने अपने गावं के बड़े बुजर्गो से कई बार सुनी होगी, पर क्या आप ने कभी सोचा है यह कहावत किसने कही थी और किस घटना पर कही थी तो आइए इसको सुरु से सुरु करते है Anpadh jaat Padha Barabar यह घटना है कोई 1270 के आसपास की है, जब दिल्ली में बादशाह बलबन का राज था उसके दरबार में एक अमीर दरबारी भी था जिसके तीन बेटे थे, कहा जाता है की उस दरबारी के पास 19 घोड़े भी थे जब उसका अंत समय आया तो उसने अपने बेटों के नाम एक वसीयत लिखी थी वसीयत क्या थी अमीर दरबारी के पास वसीयत में जो 19 घोड़े थे, उसकी उसने वसीयत इस प्रकार लिखी थी अब तीनों बेटे अपने पिताजी की तेहरवी करने के बाद इन घोड़ो का बंटवारा करने के लिए बैठे, पर यहाँ एक समस्या आ गई… समस्या ये की 19 घोड़ो का ना तो आधा किया जा सकता और ना ही चोथाई व पांचवा हिसा किया जा सकता जब तीनो भाई इस बटवारे को नही कर पाए तो वो बादशाह के दरबार में चले गये और बादशाह से इस बटवारे को सही सही करवाने के लिए गुजारिस की… बादशाह बलबन ने सभी दरबारियों को एक जगह किया और दरबार में यह फैसला करने लगे लेकिन यहाँ भी वही हुआ की कोई भी दरबारी संतोषजनक फैसला नही कर पाया.. उसी समय बादशाह के सबसे खास और प्रसिद्ध कवि ‘आमिर खुशरो’ जो बलबन के दरबारी कवि भी थे वो भी इस दरबार में थे उसने जाटो की पंचायतो के बारे में काफी सूना था अमिर खुशरो ने बादशाह से कहा की मैं जाटो के इलाको में खूब घुमा हूँ और उनकी खूब पंचायती फैसले भी सुने है अगर इस समस्या का कोई हल कर सकता है तो वो है सर्वखाप पंचायत का कोई ‘जाट मुखिया’ लेकिन इसके विरुद सभी दरबारियों ने इंकार कर दिया की यह फेसला तो हो ही नही सकता है चुकीं, बादशाह बलबन के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था, लिहाजा खुशरो की बात को स्वीकार करते हुए बादशाह ने किसी जाट मुखिया को बुलाने का फेसला किया.. और उसी समय सर्वखाप पंचायत के किसी खास आदमी को चिट्टी देकर गांव ‘सौरम’ जिला ‘मुज्फ्फरनगर’ भेजा गया (ध्यान रहे– इस गांव में सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय आज भी मोजूद है) चिट्टी पाकर पंचायत के प्रधानपंच चौधरी रामसहाय सूबेदार को दिल्ली भेजा गया… चौधरी साहब अपने घोड़े पर सवार होकर बादशाह के दरबार पहुंचे, अब बादशाह ने सभी दरबारियों को एक खुले मैदान में बैठाया और वहीं पर 19 घोड़ो को लाइन से बंधवा दिया गया चौधरी साहब ने अपना परिचय देते हुए शुरू किया ‘शायद इतना तो आपको पता होगा की हमारे यहाँ राजा और प्रजा का सम्बंध बाप-बेटे जैसा होता है और प्रजा की संपति पर राजा का भी हक होता है इसलिए में जो घोड़ा लाया हु, उसपर राजा जी का भी हक है इसलिए में अपना घोड़ा राजा जी को भेंट करता हु… और मेरे घोड़े को भी इन 19 घोड़ो में मिलाने की इजाजत चाहता हूँ इसके बाद बंटवारे का फेसला सुनाऊंगा बादशाह बलबन ने इसकी इजाजत देते हुए फैसला सुनने की इजाजत दे दी, चौधरी साहब ने अपने घोड़े को उन 19 घोड़ो की लाइन में सबसे अंत में बांध दिया … जिससे घोड़ो की गिनती अब 19 और 1 यानि 20 हो गई अब चौधरी साहब ने बटवारा इस प्रकार किया … अब जब तीनों बेटो का हिसाब बराबर हो गया तो अंत में एक घोड़ा बच गया… जो वैसे भी चौधरी साहब का था, बंटवारा पूरा करके चौधरी साहब ने कहा – मेरा घोड़ा तो बच गया है बादशाह आपकी इजाजत हो तो में मेरा घोड़ा वापस ले लू और बादशाह ने हाँ कहते हुए इस फैसले को स्वीकार कर लिया… इस फैसले से प्रभावित होकर बादशाह बलबन और वहाँ बैठे सारे दरबारियों ने चौधरी साहब की बहुत तारीफ की थी, कहते है जब चौधरी साहब अपने घोड़े पर बैठकर जाने लगे… तो वहा मोजूद ग़ाव के लोग नाचने लग गए थे … इसी वक्त यानि जब चौधरी साहब अपने गांव की जाने लगे तो ‘अमीर खुसरो’ ने जोर से कहा- “अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा ” और वहां मोजूद सारी भीड़ इस पंक्ति को दोहराने लगी… तब यह कहावत राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उतर प्रदेश तथा दूर दूर तक फेल गई… जो आज तक चली आ रही है Anpadh Jaat FAQ यह भी जाने 👇 👉 रहस्यमयी गांव जो एक रात में गायब हो गया 👉 हावड़ा ब्रिज का अनदेखा रहस्य Anpadh jaat Padha Barabar या अनपढ़ जाट पढ़ा बराबर, पढ़ा जाट खुदा बराबर या इससे सम्बंधित जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें, Anpadh jaat Padha Barabar शुक्रिया
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कश्मीर में यहां घूमो मजा आ जाएगा / Kashmir Main Ghumane Ki Jagah
कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है, यह अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुन्दरता, हरे-भरे जंगलों, बर्फिलें पहाड़ों, घाटियों इत्यादी के लिए जाना जाता है| कश्मीर पर्यटन के लिए बहुत ही आकर्षित स्थानों में से एक है| कश्मीर के प्रमुख पर्यटक स्थल धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भारत के उत्तर में स्थित एक अनोखा एवं मनमोहक क्षेत्र है यहां की प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियां और शांत झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं श्रीनगर, गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं| आइए जानते है कि कश्मीर के प्रमुख पर्यटक स्थल कौन-कौनसे है :- कश्मीर में घूमने की जगह कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मनमोहन परिदृश्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है कश्मीर में कुछ प्रमुख स्थान है जहां आप घूम सकते हैं और जो आपके अनुभव को अस्मरणीय बना देंगे जैसे — श्रीनगर श्रीनगर, जम्मूकश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी है श्रीनगर अपने अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है यह झेलम नदी के तट पर स्थित है और डल, नागिन और अंचार जैसी झीलों से घिरा हुआ है यह शहर डल झील, निशात बाग, शालीमार बाग और मुगल गार्डन के लिए जाना जाता है डल झील में शिकारा की सवारी और हाउसबोट में रुकना यहां के प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं श्रीनगर में हर मौसम एक अलग ही खूबसूरती रहती है यह शहर सर्दियों में बर्फ से ढका रहता है और गर्मियों में फूलों से सजा रहता है खूबसूरत फूलों, हरे-भरे खेतों और एपल के पेड़ों को देखने के लिए आप मार्च से मई के बीच श्रीनगर जा सकते हैं हिमालय और पीर पंजाल पर्वत से घिरा श्रीनगर कैम्पिंग और पर्वतारोहण जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थल है कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए कई धार्मिक स्थान हैं श्रीनगर समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक मिश्रण से भरा एक गंतव्य है श्रीनगर और उसके आसपास खरीदारी करने के लिए कुछ बेहतरीन स्थान पोलोव्यूमार्केट, लालचोक, रेजीडेंसी रोड, बुधशाचोक और राफनास बाजार हैं श्रीनगर की यही विविधता और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाती है| गुलमर्ग गुलमर्ग कश्मीर में स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है यह आकर्षक पर्यटन स्थल समुद्र तल से लगभग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है गुलमर्ग का अर्थ- फूलों की वादी है गुलमर्ग जम्मू और कश्मीर का एक ख़ूबसूरत हिल स्मारक है यह भीड़भाड़ वाले पर्यटन स्थलों से बिल्कुल अलग है और अधिक सुंदरता समेटे हुए है इसकी अत्यधिक सुन्दरता के कारण इसे “धरती का स्वर्ग” भी कहा जाता है गुलमर्ग बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी काफी मशहूर है यहां के चारों ओर की गोलाकार सड़क से घाटी और पहाड़ों के सभी दर्शनीय स्थल देखे जा सकते हैं गुलमर्ग कश्मीर के फेमस और खुबसुरत स्थानों में से एक है | पहलगाम पहलगाम घाटी कश्मीर का प्रमुख घुमने लायक स्थान है पहलगाम घाटी में शानदार नज़ारे और हिमालय की चोटियाँ हैं यह श्रीनगर से लगभग 90 किलोमीटर दूर अनंतनाग जिले में लिद्दर नदी के तट पर स्थित है पहलगाम कश्मीर घाटी में प्रकृति का एक दयालु और खूबसूरत प्रतिबिंब है पहलगाम में विभिन्न प्रकार के परिदृश्य हैं, जैसे जिनमें सूरज की रोशनी में चमकती बर्फ से ढकी चोटियों और रंग-बिरंगी वनस्पतियों से सजी हरी-भरी घाटियाँ शामिल हैं कश्मीर के अनंतनाग जिले में लिद्दर नदी के तट पर स्थित पहलगाम को ‘चरवाहों की घाटी’ कहा जाता है यह अपने घास के मैदानों, जंगलों और प्राचीन पर्यावरण के साथ एक दृश्यात्मक आनंद है इस घाटी में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है यह स्थान कश्मीर के खास स्थानों में से एक है सोनमर्ग सोनमर्ग जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है यह स्थान समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सोनमर्ग शहर ज़ोजी-ला दर्रे से पहले स्थित है, जो बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है सोनमर्ग का शाब्दिक अर्थ- सोने से बना घास का मैदान है सोनमर्ग में गडसर, कृष्णसर और गंगाबल जैसी विभिन्न झीलें मौजूद हैं ये झीलें इस जगह की सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं सोनमर्ग में हरे-भरे घास के मैदानों से बहती खूबसूरत सिंध नदी और बर्फ से ढके पहाड़ों का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलते है ग्रीष्म ऋतु में निस्संदेह सोनमर्ग घूमने का सबसे अच्छा समय है सोनमर्ग में आप जून के महीने में जीरो पॉइंट और थजवास ग्लेशियर पर बर्फ देख सकते हैं युसमर्ग युसमर्ग कश्मीर में सबसे खुबसुरत स्थानों में से एक है युसमर्ग कश्मीर घाटी के पश्चिमी भाग में एक हिल स्टेशन है युसमर्ग घाटी जम्मू और कश्मीर में एक बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक जगह है युसमर्ग अपने घास के मैदानों और घने जंगलों के लिए जाना जाता है हरे-भरे खेत, खूबसूरत बर्फ से ढकी चोटियां, झीलें और झरने युसमर्ग घाटी की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं युसमर्ग का कश्मीरी में अर्थ- यीशु की घास होता है युसमर्ग घाटी में मौजूद नीलनाग बांध इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है यहां दर्शनीय स्थलों की यात्रा और ट्रैकिंग तथा घुड़सवारी जैसी गतिविधियों के लिए बहुत सारे विकल्प हैं युसमर्ग घाटी न केवल खूबसूरत नजारों के लिए बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है लेह-लद्दाख लेह-लद्दाख कश्मीर के प्रमुख मनोरम द्रश्यों में से एक है लेह-लद्दाख भारत का केंद्र-शासित प्रदेश है लेह-लद्दाख अपनी अनूठी प्राकृतिक सुंदरता, ऊंचे पहाड़ों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है लेह-लद्दाख अपनी ऊँची-ऊँची झीलें, बर्फ से ढके पहाड़ और ऊबड़-खाबड़ इलाको के लिए प्रसिद्ध है लद्दाख क्षेत्र में स्थित हेमिस राष्ट्रीय उद्यान को भारत की हिम तेंदुए की राजधानी के रूप में जाना जाता है भारत-चीन सीमा पर 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील लद्दाख के सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है 17वीं सदी में बना यहां का लेह पैलेस तिब्बती वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है साहसिक गतिविधियों के लिए लेह-लद्दाख को ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग और माउंटेन बाइकिंग के लिए भी जाना जाता है Kashmir Main Ghumane Ki Jagah कश्मीर की सुन्दरता और विविधता आपके दिल को छु लेगी और आपको प्रकृति के करीब ले आएगी, अपनी यात्रा का प्लान बनाए ओर इस स्वर्ग का अनुभव ले 👉 रहस्यमयी गांव जो एक रात